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Magh Snan: देवता भी करते हैं माघ स्नान, दस हजार अश्वमेघ यज्ञ का मिलता है फल, लाभ के लिए इस समय करें स्नान

Magh Snan: पवित्र माघ मास में पूजा-पाठ करने वाले साधक आज से ही कल्पवास की शुरूआत करते हैं, जिसका समापन माघी पूर्णिमा पर होता है. 

Purnima 2023

पूर्णिमा

Magh Snan: हिंदू धर्म में खास अवसरों या तिथी पर किसी पवित्र नदी में स्नान को विशेष तौर पर फलदायी बताया गया है. इसके अलावा इस माह में स्नान के बाद दान और पूजा पाठ को भी विशेष महत्व दिया गया है.

ऐसे में कल से लगने वाले माघ मास के स्नान की शुरुआत आज पौष मास की पूर्णिमा से ही हो चुकी है. पंचांग के मुताबिक आज 6 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 16 मिनट से पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो जाएगा. वहीं अगले दिन 7 जनवरी को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर इसका समापन होगा.

लेकिन उदयातिथि होने के कारण आज सुबह से ही इसका स्नान आरंभ हो चुका है. देश में प्रयागराज समेत कई जगहों पर गंगा किनारे आज के दिन लगने वाले मेले में लाखों श्रद्धालुओं नें आस्था की डुबकी लगाई है. पवित्र माघ मास में पूजा-पाठ करने वाले साधक आज से ही कल्पवास की शुरूआत करते हैं, जिसका समापन माघी पूर्णिमा पर होता है.

 देवता भी करते हैं माघ मास में संगम स्नान

धार्मिक ग्रंथों में इस बात का जिक्र है कि त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश समेत कई देवी देवता माघ मास के दौरान संगम स्नान करते हैं. बात करें इस माह में स्नान से मिलने वाले फल की तो कहा जाता है कि प्रयागराज के संगम पर माघ मास में यदि कोई इंसान तीन बार स्नान करता है तो उसे दस हजार अश्वमेघ यज्ञ से भी अधिक का फल मिलता है.

वहीं पूरे माघ मास में प्रतिदिन संगम स्नान करने वाले व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. माना जाता है कि माघ स्नान से सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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माघ मास में इन नियमों से मिलेगा लाभ

माघ मास की महत्ता बताते हुए धार्मिक ग्रंथों में इस बात का जिक्र किया गया है कि जो लोग इस दौरान कल्पवास करते हुए भगवान का सुमिरन करते हैं तो उन्हें इसका फल न केवल इस जन्म में मिलता है, बल्कि अगले जन्म में भी इसके पुण्य प्रताप से उनका जीवन खुशहाल रहता है.

माघ स्नान के लिए सबसे उत्तम काल सूर्योदय से पूर्व में उस समय को माना गया है, जब आसमान में तारे भी निकले हुए हों. इसके अलावा माघ मास में गुड़, तिल और कंबल का दान करना चाहिए.



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