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Jitiya 2023: जितिया व्रत में नोनी साग क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

Jitiya 2023: जिउतिया व्रत मे नोनी साग की काफी मांग रहती है, बाजारों में भी इस दिन यह साग काफी महंगा मिलता है.

सांकेतिक तस्वीर

Jitiya 2023: हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका (जितिया व्रत) व्रत पड़ता है. वहीं इस व्रत को जिउतिया भी कहा जाता है. इस साल 2023 में जीवित्पुत्रिका व्रत 6 अक्टूबर को पड़ रहा है. संतान की दीर्घायु के लिए इस व्रत को रखा जाता है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं कई सारी ऐसी चीजें और वस्तुएं का उपयोग करती हैं, जिन्हें पूजा पाठ की दृष्टि से खास माना जाता है. यहां तक की इनके बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है. नोनी के साग भी इन्ही चीजों में से एक है.

जितिया में नोनी साग क्यों है इतना खास ?

जिउतिया व्रत मे नोनी साग की काफी मांग रहती है, बाजारों में भी इस दिन यह साग काफी महंगा मिलता है. वहीं यह साग काफी कम जगहों पर पाया और उगाया जाता है. नोनी साग को धार्मिक दृष्टि से काफी पवित्र माना गया है. जिउतिया पर्व में इसके उपयोग का कारण भी काफी खास है. जिउतिया पर्व तीन दिनों तक चलता है. जिसमें पहले दिन नहाय-खाय के दिन नोनी का साग और मडुआ की रोटी खाने की परंपरा रही है.

सेहत से है खास संबंध

जिउतिया व्रत मे महिलाओं को 24 घंटे से लेकर 36 घंटे तक का उपवास रखना पड़ता है. इस दौरान पानी तक नहीं पिया जाता. ऐसे में पहले दिन ऐसा पौष्टिक आहार लिया जाता हैस, जो इतने लंबे समय तक महिलाओं को सेहतमंद रख सके. नोनी के साग को इसके लिए काफी सही माना जाता है. जिसे कि एक पौष्टिक आहार माना जाता है. इस पर्व में ना केवल नोनी का साग की बल्की मरुआ की रोटी और मारा माछ का भी विशेष महत्व है. बता दें कि यह सभी चीजें नहाय खाय से पहले ग्रहण की जाती हैं. वहीं इनके बिना यह पर्व अधूरा माना गया है.

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बता दें कि जीवित्पुत्रिका व्रत तीन दिनों तक चलता है. जिसकी शुरुआत पहले दिन से नहाए खाए के साथ होती है. वहीं दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और तीसरे दिन जाकर व्रत का पारण किया जाता है.

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