काल भैरव अष्टमी
काल भैरव को तंत्र-मंत्र का देवता भी माना जाता है. कहते हैं कि भगवान शिव के रूद्र रूप काल भैरव की पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से जातक को उपरी बाधाओं, तंत्र-मंत्र और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है और उसके सभी तरह के पाप कट जाते हैं. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव का अवतरण माना जाता है. इस दिन को काल भैरवाष्टमी के रूप में मनाया जाता है.
इस बार यह तिथि 16 नवंबर को बुधवार के दिन पड़ रही है. इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है और भूत-प्रेत जैसी उपरी बाधाएं दूर रहती हैं. काल भैरव की पूजा करने से जातक के जीवन में आई हर ग्रह बाधा भी दूर होती है और शत्रु उसका बाल भी बांका नहीं कर पाते.
खास विधि से करें काल भैरव की पूजा और पाएं मनचाहा वरदान
अगर आप काल भैरव की पूजा करने जा रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखें कि आपने भले ही इस दिन व्रत रखा हो, लेकिन काल भैरव की पूजा सूर्यास्त के बाद यानी प्रदोष काल में ही करें. ज्योतिषियों के अनुसार भगवान काल भैरव का श्रृंगार सिंदूर और चमेली के तेल से करना फलदायी होता है. पूजा के दौरान शुद्धता का विशेष तौर पर ध्यान रखें और पूजा से पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. हो सके तो इस दिन पास के किसी भैरव या शिव मंदिर में जाएं और उत्तर की तरफ अपना मुख रखते हुए भगवान काल भैरव या शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाएं.
यदि आप काल भैरव के मंदिर में जाते हैं तो उनका श्रृंगार करने के बाद लाल फूल चढ़ाते हुए लाल चंदन, सुपारी, अक्षत और जनेऊ के साथ नारियल चढ़ायें. जहां तक हो सके मंदिर में कुछ दान अवश्य करें. मान्यता के अनुसार इस दिन काल भैरव को गुड़-चने या इमरती आदि का भोग भी लगाया जाता है. अगर आप दीपक जला रहे हैं तो उसमें सरसों के तेल का उपयोग करें. आप चाहें तो काल भैरव के मंत्र का जाप भी कर सकते हैं. इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाने से भी काल भैरव प्रसन्न होते हैं. विधि विधान से की गई उनकी पूजा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और शत्रुओं का नाश होता है.