काल भैरव, भगवान शिव
Kaal Bhairav Ashtmi: कालाष्टमी आश्विनी माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन काल भैरव की पूजा होती है. काल भैरव को तंत्र-मंत्र का देवता भी माना जाता है. कहते हैं कि भगवान शिव के रूद्र रूप काल भैरव की पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से उपरी बाधाओं, तंत्र-मंत्र और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है और उसके सभी तरह के पाप कट जाते हैं. इस बार कालाष्टमी 06 अक्टूबर को पड़ रही है.
कालाष्टमी के दिन की शुभ घड़ियां
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार आश्विनी माह की कालाष्टमी कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी. इसकी शुरुआत 6 अक्टूबर को दोपहर में 3 बजकर 37 मिनट से हो जाएगी. वहीं इसका समापन अगले दिन 07 अक्टूबर को 4 बजकर 14 मिनट पर होगा. वहीं पूजा पाठ के लिए 07 सितंबर 2023 को सुबह से लेकर अपराह्न 4:14 बजे तक का समय उत्तम है.
इस विधि से करें काल भैरव की पूजा
अगर आप काल भैरव की पूजा करने जा रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखें कि आपने भले ही इस दिन व्रत रखा हो, लेकिन काल भैरव की पूजा सूर्यास्त के बाद ही करें. ज्योतिषियों के अनुसार भगवान काल भैरव का श्रृंगार सिंदूर और चमेली के तेल से करना फलदायी होता है.
पूजा के दौरान शुद्धता का विशेष तौर पर ध्यान रखें और पूजा से पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. हो सके तो इस दिन पास के किसी भैरव या शिव मंदिर में जाएं और उत्तर की तरफ अपना मुख रखते हुए भगवान काल भैरव या शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाएं. आश्विनी माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शिव जी की कृपा से पितरों का उद्धार होता है.
सुपारी, अक्षत और जनेऊ
इस दिन काल भैरव के मंदिर में जाकर उनका श्रृंगार करने के बाद लाल फूल और लाल चंदन, सुपारी, अक्षत और जनेऊ के साथ नारियल चढ़ायें. जहां तक हो सके मंदिर में कुछ दान अवश्य करें. मान्यता के अनुसार इस दिन काल भैरव को गुड़-चने या इमरती आदि का भोग भी लगाया जाता है.
इस दिन दीपक में सरसों के तेल का उपयोग करें. आप चाहें तो काल भैरव के मंत्र का जाप भी कर सकते हैं. इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाने से भी काल भैरव प्रसन्न होते हैं. विधि विधान से की गई उनकी पूजा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और शत्रुओं का नाश होता है.
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