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Mahavidya: दुख और दरिद्रता को दूर करती हैं मां धूमावती, जानिए क्या है मां से जुड़ी कथा, इस विधि से करें पूजा

Mahavidya: संसार में ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिनका समाधान देवी धूमावती की पूजा से संभव न हो. आइए जानें देवी धूमावती की रोचक कथा और पूजा-विधि

Maa-Dhoomawati

मां धूमावती

Mahavidya: माना जाता है कि देवी धूमावती की उपासना से तंत्र-मंत्र की सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है। ये देवी दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती है। इन्हें अलक्ष्मी भी कहा जाता है। माता धूमावती की पूजा करने से क्रोध शांत होता है और गरीबी भी दूर हो जाती है। कष्टों से बचने के लिए भी देवी धूमावती की पूजा की जाती है। इन देवी का निवास ज्येष्ठा नक्षत्र में है।

इनकी साधना तांत्रिकों द्वारा की जाती है। सामान्य लोग भी कष्टों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए इनकी पूजा कर सकते है। संसार में ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिनका समाधान देवी धूमावती की पूजा से संभव न हो। आइए जानें देवी धूमावती की रोचक कथा और पूजा-विधि.

कौन हैं देवी धूमावती?

धूमावती माँ पार्वती का ही सबसे उग्र रूप हैं।
देवी धूमावती अकेली और स्व-नियंत्रक हैं।
सभी दसो महाविद्याओं में से देवी धूमावती का सातवां स्थान है।
संसार बंधन से मुक्त होने की शक्ति देवी ही प्रदान करती हैं।
इन्हें लक्ष्मी जी की ज्येष्ठ होने के कारण ज्येष्ठा नाम से भी जाना जाता हैं जो स्वयं कई समस्याओं की उत्पति करती हैं।

इस विधि से करें मान धूमावती की पूजा 

देवी धूमावती शत्रुओं का विनाश करती हैं। यह  दस महाविद्याओं में से एक हैं। धूमावती मां को धूमावती पूजा द्वारा प्रसन्न कर आप इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। धूमावती का यह रूप माँ पार्वती के सबसे ज्यादा उग्र रूप माना जाता हैं।

मां धूमावती की पूजा से मिलता है यह लाभ

धूमावती पूजा की मदद से घर में हो रहे कलेशो में कमी आती हैं। इस पूजा से नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं। धूमावती पूजा से धन आगमन के रास्ते खुलते हैं।
ये पूजा द्वारा शत्रुओं से आपकी रक्षा होती हैं।

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मां धूमावती की पूजा में करें इन मंत्रों का उपयोग 

ॐ धूं धूं धूमावती फट

धूं धूं धूमावती ठः ठः

मां धूमावती की कथा 

प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी थी। उन्होंने महादेव से भोजन के लिए कहा लेकिन इसके बाद भी काफी समय तक भोजन नहीं आया। भूख से व्याकुल माता पार्वती भोजन की प्रतीक्षा कर रही थी। जब भूख बर्दाश्त नहीं हुई तो उन्होंने भगवान शिव को ही निगल लिया। ऐसा करते ही उनके शरीर से धुआं निकलने लगा।

जिसके बाद भगवान शिव उनके पेट से बाहर आ गए और कहा कि तुमने अपने पति को ही निगल लिया इसलिए अब से तुम विधवा स्वरुप में रहोगी और धूमावती के नाम से प्रसिद्ध रहोगी। साथ ही भगवान शिव ने यह भी वरदान दिया कि जो भी कोई व्यक्ति मां पार्वती के इस स्वरुप की पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी।

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