दक्षिणावर्ती शंख का महत्व
Dakshinavarti Shankh: आमतौर पर शंख और इसकी ध्वनी को काफी शुभ माना जाता है. पूजा-पाठ या शुभ कार्यों में इसकी ध्वनी सुनने का विधान है. वैसे तो सभी तरह के शंख बेहद पवित्र होते हैं और घर में इन्हें रखने पर शुभता आती है, लेकिन एक शंख ऐसा भी है जो अगर आपको मिल जाए तो अत्यंत शुभदायक और समृद्धिवर्धक है. यह शंख है दक्षिणावर्ती शंख. दक्षिणावर्ती इसलिए क्योकि इसका मुंख दाईं ओर खुलता है. पूजा पाठ में उपयोग होने वाला शंख आमतौर पर वामावर्ती होता है. इनकी उपलब्धता बहुतायत रहती है, लेकिन दक्षिणावर्ती शंख बहुत ही कम मिलते हैं.
दक्षिणावर्ती शंख का धार्मिक महत्व
इस शंख की गणना दुर्लभतम की श्रेणी में की जाती है. मार्कण्डेय पुराण में इस बात का वर्णन है कि मां लक्ष्मी को यह शंख अत्यंत ही प्रिय है. माना जाता है कि दक्षिणावर्ती शंख माता लक्ष्मी के साथ ही समुद्र मंथन से निकला था. इसलिए यह धन की देवी मां लक्ष्मी का पसंदीदा है. माना जाता है कि घर में इसे रखने पर धन-धान्य में वृद्धि होती है. धार्मिक ग्रंथों में दक्षिणावर्ती शंख से जुड़े कई ऐसे प्रसंग मिलते हैं. जिनमें इस शंख से जुड़े चमत्कारों का जिक्र है. अगर बात वास्तु शास्त्र की करें तो इसके अनुसार इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसके साथ ही बलशाली शत्रु पर विजय मिलती है और किसी तरह की अनहोनी, भय और दूसरे तरह के बुरे प्रभावों से मुक्ति भी मिलती है.
घर में रखते समय कुछ नियमों का रखें ख्याल
दक्षिणावर्ती शंख को घर में एक आम वस्तु की तरह नहीं रखा जा सकता. इसे घर में रखने के कुछ नियम बताए गए हैं. अगर आपको यह किसी भी तरह मिल जाए तो सबसे पहले इसे रखने के लिए कोई भी एक साफ धातु का बना पात्र ले लें. अगर यह चांदी का हो तो अति उत्तम है, परंतु न होने पर किसी भी धातु का ले सकते हैं. इसके बाद लाल रंग का छोटा सा टुकड़ा पात्र में बिछा लें. अब गंगाजल लेते हुए इसे दक्षिणावर्ती शंख के मुंख में भरें. इसके बाद इसे लाल कपड़े पर रखते हुए घर के मंदिर में रख दे. शुक्रवार को मां लक्ष्मी के दिन इस शंख की खास तौर पर पूजा करें.
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