पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर का रहस्य (फोटो- भारत एक्सप्रेस)
Mystery Caves of Lord Shiva: सनातन धर्मग्रंथों के अनुसार, ईश्वर के तीन रूप हैं- ब्रह्मा, विष्णु और महेश. ये तीनों भिन्न नहीं हैं, हालांकि इन्हें अलग-अलग पूजा जाता है. इनमें महेश को शिव, महादेव, भोलेनाथ जैसे सहस्त्र नामों से पुकारा जाता है. शिवपुराण के अनुसार, ये कैलाश पर्वत पर वास करते हैं, जो हिमालय के उत्तर में स्थित है. हालांकि, जनमानस में इनकी उपस्थिति वाले और भी कई स्थान बतलाए जाते हैं.
धरती पर भारत-देश में शिव-पूजा से जुड़ी कई ऐसी गुफाएं और मंदिर हैं जिनका रहस्य आज तक अनसुलझा है. ये जगहें अपने अंदर पौराणिक इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता के संजोए हुए हैं. एक जगह है- पाताल भुवनेश्वर, जिसके बारे में कहा जाता है कि वहां ऐसी गुफा है, जिसकी गहराई अथाह है. और, वो पाताल तक जाती है.
पाताल भुवनेश्वर गुफा कहां है?
पाताल भुवनेश्वर गुफा उत्तराखंड राज्य में है. वहां भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, जो पिथौरागढ़ से लगभग 91 किलोमीटर दूर और गंगोलीहट से 14 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. पाताल भुवनेश्वर को भगवान शिव के उप-क्षेत्रीय तीर्थस्थान के रूप में मान्यता है, यह एक गुफा मंदिर है. इसकी खोज कलयुग में आदि शंकराचार्य ने 8वीं सदी में की थी, जहां नागों के राजा के अवशेष मिले थे.
हिंदु अनुयायियों में ये माना जाता है कि यहां भगवान शिव के साथ-साथ सभी देवी देवताओं के दर्शन किए जा सकते हैं. कुछ लोग ये भी कहते हैं कि सच्ची श्रद्धा वाले भक्तों को यहीं पर चारों धामों के दर्शन हो जाते हैं. खास बात यह है कि यहां कुंड में पानी गर्म रहता है, जबकि यह जगह ठंडे प्रदेश में है.
यहां जाने वाले नहीं लौटते वापस
शिव-पूजा का एक और रहस्यमय स्थल जम्मू के रयासी जिले में है. उसे शिव खोड़ी की गुफा कहा जाता है. रयासी जिले में स्थित शिवखोड़ी की गुफा 150 मीटर लंबी है. उस गुफा के बारे में कहा जाता है कि वहां भगवान शिव सपरिवार विराजमान हैं. जनमानस में ये मान्यता भी है कि इस गुफा के दूसरे छोर पर अमरनाथ की गुफा है. पौराणिक मान्यता है कि यहीं पर, भस्मासुर और शिवजी का सामना हुआ था. बाद में भस्मासुर भस्म कर दिया गया था. और, आज तक ये मान्यता है कि इस गुफा के छोर तक पहुंचने की कोशिश करने वाला व्यक्ति कभी लौटकर नहीं आता है.
- भारत एक्सप्रेस