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निर्जला एकादशी में कब कर सकते हैं जल का सेवन? नोट कर लें पारण के लिए सही समय और विधि

Nirjala Ekadashi Parana: निर्जला एकादशी व्रत के दौरान जल का सेवन नहीं किया जाता है. ऐसे में पारण के दिन जल का सेवन कब कर सकते हैं, जानिए.

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भगवान विष्णु.

Nirjala Ekadashi Parana Timings Vidhi: आज निर्जला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है. शास्त्रों में इस एकादशी के व्रत का खास महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखने से 12 एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त होता है. निर्जला एकदशी व्रत के दौरान कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है. मान्यतानुसार, निर्जला एकादशी व्रत के दौरान जल का सेवन नहीं करना चाहिए. लेकिन, निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को पानी का सेवन कब करना चाहिए और व्रत के पारण के लिए सही समय और विधि क्या है, जानिए.

निर्जला एकादशी व्रत में पानी कब पीएं?

निर्जला एकादशी व्रत में जल के सेवन नहीं किया जाता है, इसलिए इस व्रत को अन्य एकादशी व्रत की तुलना में कठिन माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकदशी का व्रत रखने वालों को एकादशी के अगले दिन जल ग्रहण करना चाहिए. ऐसे में जो लोग आज निर्जला एकादशी का व्रत रखे हुए हैं, उन्हें बुधवार, 19 जून की सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 7 बजकर 28 मिनट से बीच जल ग्रहण करना अच्छा रहेगा. वहीं, जो लोग अस्वस्थ हैं वे एकादशी की पूजा के बाद रात के समय जल ग्रहण कर सकते हैं.

निर्जला एकदाशी के पारण का समय क्या है?

निर्जला एकादशी व्रत का पारण द्वादशी के दिन करने का विधान है. पंचांग के अनुसार, द्वादशी तिथि 19 जून को पड़ रही है. इस दिन द्वादशी तिथि सुबह 7 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत का का पारण बुधवार सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 7 बजकर 28 मिनट से बीच कर लेना उचित रहेगा.

निर्जला एकदशी व्रत-पारण विधि

निर्जला एकादशी व्रत का पारण करने के लिए व्रती को सुबह उठकर स्नान इत्यादि से निवृत हो जाना चाहिए. इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए. भगवान की पूजा के बाद ही जल और अन्न का सेवन करना चाहिए. एकदाशी व्रत का पारण करने के बाद दान करना अच्छा माना गया है. ऐसे में इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार, कुछ ना कुछ दान जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

किस चीज से करें एकदशी का पारण

निर्जला एकादशी व्रत का पारण मौसम के अनुकूल फल का सेवन करके किया जा सकता है. इसके अलावा जल और भात (पका हुआ चावल) के सेवन से भी निर्जला एकादशी व्रत का पारण किया जा सकता है.

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