Bharat Express

आस्था

इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा. जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, तो इसे सूर्य का संक्रमण काल कहा जाता है.

मकर संक्रांति का त्योहार को देश के सभी राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. इसे ‘खिचड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन चावल, उड़द और तिल दान का विशेष महत्व रहता है.

साल 2025 में भी ग्रहों की स्थिति के आधार पर लोगों के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे. बृहस्पति की विचित्र स्थिति के कारण इस वर्ष अधिकांश लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

हर दिन हमारे जीवन में नई संभावनाएं, चुनौतियां और अवसर लेकर आता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रह-नक्षत्रों की चाल हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करती है.

वर्ष 2025 में ग्रहों की चाल से रिश्तों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनेगी. सही समय पर उचित निर्णय और धार्मिक उपायों से रिश्तों की समस्याओं को हल किया जा सकता है.

प्रयागराज में महाकुम्भ 2025 के आयोजन के लिए तैयारियां जोरों पर हैं. श्रद्धालु धार्मिक सामग्री, रुद्राक्ष, तुलसी की माला, गीता प्रेस की पुस्तकें और पूजा सामग्री खरीदने आ रहे हैं.

श्रृंगवेरपुर धाम, प्रयागराज का पवित्र स्थल, प्रभु श्रीराम के वनवास और श्रृंगी ऋषि की तपस्थली से जुड़ी ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता को दर्शाता है.

नए साल 2025 का आगाज हो चुका है, आइए जानते हैं, जनवरी का महीना किस राशि के लिए लकी और किसके लिए अनलकी साबित होने वाला है.

साल 2024 में, माता वैष्णो देवी के 94 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं. यह पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा है. इससे पहले, साल 2012 में एक करोड़ श्रद्धालुओं ने माता वैष्णो देवी के दर्शन किए थे.

31 दिसंबर 2024 का दिन पौष शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और ध्रुव योग लेकर आया है. आज चंद्रमा और सूर्य दोनों गुरु की राशि धनु में स्थित हैं.