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Sakat Chauth 2023: इस दिन है सकट चतुर्थी का व्रत, जानें मुहूर्त और गणेश जी से जुड़ी खास बातें

Sakat Chauth 2023: मान्यता है कि चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से किसी भी तरह के काम में आ रही बाधा दूर होती है.

ganesh Ji

गणेश जी (फोटो- सोशल मीडिया)

Sakat Chauth 2023: हिन्दू धर्म में किसी भी नए काम के शुभारंभ में भगवान गणेश की पूजा और उपासना की विशेष तौर पर मान्यता है. इसके अलावा गणेश जी की पूजा करने से धन धान्य में वृद्धि होती है. प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश जी को पूजने की विशेष मान्यता है.

इस दिन व्रत रखने से सभी तरह की मनोकामना पूरी होती है. ऐसे में नए साल 2023 के पहले चतुर्थी के दिन व्रत रखने पर गणेश जी की कृपा बनी रहती है. इस बार के चतुर्थी के कृष्ण पक्ष में होने के कारण इस व्रत को संकष्टी या सकट चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.

पंचांग के अनुसार इस बार सकट चतुर्थी तिथि का आरंभ 10 जनवरी को सुबह 10:39 से होगा और इसका समापन 11 जनवरी को दोपहर में 01:01 पर होगा. उदया तिथि के मुताबिक इस बार गणेश चतुर्थी का व्रत 10 जनवरी मंगलवार के दिन रखा जाएगा.

मंत्रों के उच्चारण से मिलता है लाभ

मान्यता है कि चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से किसी भी तरह के काम में आ रही रूकावट दूर होती है. सकट चौथ के व्रत को तिलकूट चौथ, वक्रतुंड चतुर्थी और माघी चौथ जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है.

इस दिन भगवान गणेश की पूजा के दौरान मंत्रों के उच्चारण का विशेष लाभ मिलता है.गणेश जी के कुछ ऐसे मंत्र जिन्हें करने से आपको गणेश जी की कृपा सीधे प्राप्त हो सकती है.

श्री गणेश मंत्र (Shri Ganesh Mantra)

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणमंल. उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्. वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:. निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा. सर्वाज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम्. सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम्. सिद्धिबुद्धि पते नाथ सिद्धिबुद्धिप्रदायिने. मायिन मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो नमः.

इसके अलावा गणेश जी की आरती और दूसरे कई मंत्रों का जाप किया जा सकता है.

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पूजा में इन चीजों का रखें ध्यान

इस दिन भगवान गणेश की पूजा में तुलसी के पत्ते का उपयोग वर्जित है. एक धार्मिक कथा के अनुसार एक बार तुलसी जी ने गणेश जी की तपस्या भंग की थी. इससे नाराज होकर गणेश जी ने श्राप दिया था कि तुलसी जी कभी भी उनकी पूजा का हिस्सा नहीं रहेंगी. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को काले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए.



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