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सावन का चौथा सोमवार आज, इस विधि से करें शिवजी का पूजन; होगा विशेष लाभ

Sawan 4th Somwar: आज सावन का चौथा सोमवार है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-विधि, मंत्र आरती और खास उपाय जानिए.

shiv puja

शिवलिंग पूजा.

Sawan 4th Somwar 2024 Puja Vidhi Mantra, Aarti Upay: सावन चौथा सोमवार आज है. ऐसे में भगवान शिव के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखेंगे. कहते हैं कि सावन सोमवार का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए भी खास होता है. सावन सोमवार पर माता पार्वती सहित भगवान शिव की पूजा करने से सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का वरदान प्राप्त होता है. पंचांग के अनुसार, आज शुक्ल योग का भी खास संयोग बना है. ऐसे में आइए जानते हैं सावन सोमवार की पूजा-विधि और खास उपाय.

सावन सोमवार रुद्राभिषेक विधि

सावन के चौथे सोमवार पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक विशेष माना गया है. ऐसे में भगवान शिव का रुद्राभिषेक के दौरान शिवलिंग पर जल, गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर अर्पित करें. इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें. इसके साथ ही शिवलिंग पर अक्षत, धतूरा फूल, बेलपत्र और भांग और फल चढ़ाएं. अंत में भगवान शिवकी आरती करें.

सावन सोमवार उपाय | Sawan Somwar Upay

सावन के चौथे सोमवार पर गन्ने के रस से शिवजी का अभिषेक करें. इस उपाय को करने कार्यों में सफलता मिलती है.

बेलपत्र पर राम-राम लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें. ऐसा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. साथ ही साथ ग्रह-दोष से छुटकारा मिलता है.

सावन सोमवार पर आज शिवलिंग के आगे कम से कम 11 घी के दीए जलाएं. यह उपाय हर इच्छा को पूर्ण करने में सहायक माना गया है.

मंत्र | Mantra

महामृत्युंजय मंत्र- ‘ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ’

लधु मृत्युंजय मंत्र- ‘ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ’

शिव जी की आरती |Shiv Aarti

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा
ओम जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे
ओम जय शिव ओंकारा
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे
ओम जय शिव ओंकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी
ओम जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे
ओम जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे
ओम जय शिव ओंकारा
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा
ओम जय शिव ओंकारा
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा
ओम जय शिव ओंकारा
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला
ओम जय शिव ओंकारा
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी
ओम जय शिव ओंकारा..
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे
ओम जय शिव ओंकारा, ओम जय शिव ओंकारा

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