सिद्ध कुंजिका स्तोत्र.
Siddh Kunjika Stotra Path Vidhi Niyam: शारदीय नवरात्रि चल रही है. इस दौरान मां दुर्गा के भक्त उनकी विशेष कृपा पाने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं. चूंकि, दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय और 700 मंत्र हैं इसलिए कई भक्त इसका पाठ नहीं कर पाते हैं. ऐसे में आज हम आपको मां दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए एक ऐसे स्तोत्र के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद चमत्कारी माना गया है. नवरात्रि में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से शरीर और मन में असीम सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. साथ ही सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से धन से जुड़े हर प्रकार के कामनाओं की पूर्ति होती है. इसके अलावा राहु ग्रह की पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं, इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आ रही हर प्रकार की परेशानियों से जल्द छुटकारा मिल जाता है.
सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् | Siddh Kunjika Stotra
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥1॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥2॥
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥4॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥4॥
अथ मन्त्रः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
इति मन्त्रः
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥1॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥2॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥3॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥4॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥5॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥6॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥7॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥8॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्।
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कैसे करें सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ? | Siddh Kunjika Stotra Path Vidhi
शारदीय नवरात्रि के दौरान शाम या रात के समय सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना उत्तम माना गया है.
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने के लिए संध्या के समय मां दुर्गा के सामने एक घी का दीपक जलाएं.
मां दुर्गा के सामने लाल वस्त्र धारण कर लाल रंग के आसन पर बैठ जाएं.
इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करते हुए संकल्प लें कि हे मां! मैं सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर रहा हूं अपनी विशेष कृपा मेरे ऊपर बनाए रखें.
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ का नियम | Siddh Kunjika Stotra Path Niyam
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने के लिए पवित्रता का पालन करना बेहद जरूर माना गया है. अगर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ का संकल्प लिया है तो लहसुन, प्याज, नॉनवेज या शराब इत्यादि का सेवन ना करें.
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कितनी बार करें
शारदीय नवरात्रि में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ बेहद शुभ फलदायी माना गया है. नवरात्रि में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कम से कम एक बार जरूर करें. वैसे, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ जितना अधिक करेंगे उतना अच्छा रहेगा.
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