बद्रीनाथ धाम
Badrinath Dham: चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम (उत्तराखंड) के कपाट कल 27 अप्रैल गुरुवार को शुभ मुहूर्त में खुलने जा रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार इसके लिए आदिगुरु शंकराचार्य की डोली एवं गाडू घड़ा कलश भगवान बद्री विशाल के मंदिर पहुंच रही है. कल गुरुवार को 7 बजकर 10 मिनट पर भगवान बद्री विशाल के कपाल ग्रीष्म काल के लिए खुल जाएंगे. बताया जा रहा है कि करीब 15 से 20 क्विंटल फूलों से भगवान बद्री विशाल के मंदिर की सजावट की जा रही है. मंदिर परिसर के आसपास के सभी इलाकों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाने का काम भी जारी है. देश के कोने कोने से श्रद्धालु भी धीरे-धीरे बद्रीनाथ धाम पहुंचने लगे हैं.
क्या है गाड़ू घड़ा
बद्रीनाथ धाम में भगवान शिव जी के महाभिषेक के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है. मंदिर के कपाट खुलने को लेकर माना जाता है कि इस तेल को सुहागिन महिलाओं द्वारा विशेष पोशाक पहन कर टिहरी राजदरबार में तैयार किया जाता है. इसके बाद इस तेल को डिम्मर गांव के डिमरी आचार्यों द्वारा लाए गए कलश में भर दिया जाता है जिसे गाड़ू घड़ा कहते हैं.
इसे ही श्री बद्रीनाथ पहुंचाने के दौरान निकाले जाने वाली यात्रा गाडू घड़ा कलश यात्रा कहलाती है. जब यह कलश यात्रा जोशीमठ पहुंचती है तो आदि गुरु शंकराचार्य की डोली भी इस कलश यात्रा के साथ शामिल हो जाती है, जिसके बाद यह योग ध्यान बद्री पाण्डुकेश्वर पहुंचती है. जहां योग ध्यान बद्री में भगवान उद्धवजी एवं भगवान कुबेरजी की डोली जो की शीतकालीन प्रवास हेतु यहां पर विराजमान रहती है और शंकराचार्यजी की डोली. गाडू घड़ा कलश यात्रा के साथ श्री बद्रीनाथजी के धाम के पहुंचती है. जिसके बाद मंदिर के द्वार खुलते हैं. उसके बाद भक्त दर्शन करते हैं.
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पहुंची कलश यात्रा
26 अप्रैल शाम तक आदि गुरु शंकराचार्यजी की गद्दी, श्री रावल जी, गाडू घड़ा, पांडुकेश्वर योग बदरी से श्री उद्धवजी, श्री कुबेरजी सहित श्री बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं, जिसके बाद बृहस्पतिवार 27 अप्रैल को प्रात: 7 बजकर 10 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिये जाएंगे.