गंगा आरती
Varanasi: शाम का समय और लोगों से खचा खच भरा हुआ वाराणसी का दशाश्वमेध घाट. वजह सिर्फ एक ही मां गंगा की भव्य आरती. सभी चिंताओं सभी तकलीफों को त्याग कर मोक्षदायिनी मां गंगा के तट पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो जाता है. जहां शाम होते होते ही भक्तिमय माहौल होने लगता है. स्थानीय और देश भर से लोग यहां संध्याकाल में मां गंगा की आरती देखने आते हैं. विदेशों से आए सैलानी भी मां गंगा की आरती की झलक पाने शाम को गंगा तट पर जमा हो जाते हैं.
पूरी दुनिया में गंगा आरती की पहचान
मां गंगा की आरती के समय मिलने वाले अलौकिक सुख को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. मन में आ रहे नकारात्मक विचार जहां मां की कृपा से दूर होते हैं वहीं उठ रही चिंताएं भी छू मंतर हो जाती हैं. यही कारण है कि गंगा आरती की पहचान पूरी दुनिया में है. दुनिया के कोने-कोने से शांति और अध्यात्म से जुड़े रहस्यों की तलाश में भ्रमण कर रहे यात्रियों को भी मां गंगा की गोद में आकर सुकून मिलता है. आरती के समय होने वाला शंखनाद, बजने वाली घंटी, डमरू की आवाज और मां गंगा के जयकारे के बीच जब गंगा की आरती होती है तो दशाश्वमेध घाट पर ऐसा लगता है मानों देवता उतर आए हों.
गंगा आरती क्यों है खास
दुनिया भर के सबसे खूबसूरत धार्मिक क्रिया कलापों में से गंगा आरती को बेहद ही खास माना जाता है. मां गंगा के तट पर यह आरती सूर्यास्त के बाद होती है. शंखनाद से गंगा आरती की शुरुआत की जाती है. मान्यता है कि मन में बस चुकी किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा मां गंगा के तट पर होने वाली गंगा आरती के दौरान खत्म हो जाती है. आरती करने वाले पुजारी अपने हाथों में बड़े-बड़े घी से भरे दीये लेकर मां गंगा की आरती करते हैं. इस दौरान मां गंगा के जयकारे लगते हैं और ढोल नगाड़े की गूंज और आरती की मधुर ध्वनि से मन को अद्भूत शांति मिलती है. गंगा आरती के विश्व प्रसिद्ध होने के पीछे ये तमाम कारण हैं. मां गंगा के भक्त इसकी एक झलक पाने के लिए घाट पर खींचे चले आते हैं.
1991 से ही भव्य आरती की शुरुआत
मिली जानकारी के अनुसार वह साल 1991 था जब वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की शुरूआत की गई थी. इसके बाद तो मां गंगा की आरती और यहां लगने वाली भीड़ का सिलसिला आज तक चला आ रहा है. सूर्यास्त के बाद यह आरती लगभग 45 मिनट तक की जाती है. इस दौरान घाट पर मौजूद लोग और अविरल बहती मां गंगा के बीच एक कभी न टूटने वाला दिव्य और अध्यात्मिक संबंध स्थापित हो जाता है.