Vishwakarma Puja 2023: हिंदू धर्म में हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कई प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. सृष्टि का पहला अभियंता (इंजीनियर) भगवान विश्वकर्मा को ही माना जाता है. धार्मिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के अस्त्र और शस्त्र से लेकर तमाम भवनों का निर्माण किया था. वहीं भगवान शिव के त्रिशूल से लेकर, लंका का महल और द्वारका नगरी के निर्माता भी भगवान विश्वकर्मा माने जाते हैं.
मशीनों-औजारों की पूजा का महत्व
विश्वकर्मा जयंती के दिन किसी भी तरह के अस्त्र-शस्त्र के अलावा वाहन, लोहे, मशीनों के कलपुर्जों की साफ-सफाई की जाती है. इसके बाद पूरे विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है. वहीं इस दिन मशीनों, औजारों से किसी भी तरह का काम नहीं लिया जाता है. भगवान विश्वकर्मा की कृपा पाने के लिए लोग घरों में भी पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं.
विश्वकर्मा जयंती पर शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार साल 2023 में विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाएगी. देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पी माना जाता है. वहीं विश्वकर्मा पूजा के लिए 17 सितंबर की सुबह 7 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा. इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की कृपा पाने के लिए शुभ मुहूर्त में उनकी पूजा करते हैं.
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हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है. लोहे या किसी भी धातु के व्यापार से जुड़े लोग इस दिन विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनाते हैं. कारोबारियों के लिए भी यह दिन खास होता है. और लोहे या औजारों से जुड़ा कोई कारोबार नहीं किया जाता है. भगवान विश्वकर्मा को ही वास्तु शास्त्र का प्रणेता माना जाता है. वहीं विश्वकर्मा पुराण के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने ही पुष्पक विमान की रचना की थी. इसके अलावा सृष्टि की के निर्माण में भी विश्वकर्मा भगवान का योगदान माना जाता है.
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