Bharat Express

Diana Nyad: 64 साल की उम्र में Shark Cage के बिना, क्यूबा से फ्लोरिडा तक 110 मील की दूरी तैरकर रचा था इतिहास

डायना न्याड ने क्यूबा से फ्लोरिडा तक 110 मील की दूरी तैरकर बिना शार्क केज के पार करने वाली पहली व्यक्ति बनने का गौरव हासिल किया.

Diana Nyad

कल्पना कीजिए, विशाल समुद्र के बीचों-बीच, अनजान खतरों और शार्क से घिरे हुए, बिना किसी शार्क केज के, मीलों की दूरी तैरते हुए पार करना. वह भी 64 साल की उम्र में. यह साहसिक कारनामा कर दिखाया था लॉस एंजिल्स की मैराथन तैराक डायना न्याड ने. उन्होंने क्यूबा से फ्लोरिडा तक 110 मील की दूरी तैरकर बिना शार्क केज के पार करने वाली पहली व्यक्ति बनने का गौरव हासिल किया. उनके इस साहसिक कारनामे ने न केवल तैराकी की दुनिया में, बल्कि मानव क्षमता की सीमाओं को भी एक नया आयाम दिया.

क्यूबा से फ्लोरिडा तक का सफर

क्यूबा से फ्लोरिडा तक का सफर हमेशा से ही तैराकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण मार्ग रहा है. इस दूरी को पार करने की कोशिशें तो पहले भी हुई थीं, लेकिन ज्यादातर ने शार्क से बचने के लिए पिंजरे का इस्तेमाल किया था. डायना ने भी अपनी पहली कोशिश 28 साल की उम्र में की थी, लेकिन वह इस चुनौती को पूरा नहीं कर सकीं. यह अधूरी इच्छा उनके दिल में हमेशा बनी रही, और 60 साल की उम्र में उन्होंने इसे पूरा करने का निर्णय लिया.

फ्लोरिडा स्ट्रेट्स का पानी तापमान में गर्म और खतरनाक समुद्री जीवों से भरा होता है. शार्क के अलावा, बॉक्स जेलीफिश भी वहां पाई जाती हैं, जिनके डंक में इतना जहर होता है कि वह इंसान को अपंग कर सकता है, या मौत के घाट उतार सकता है. इसके अलावा, पानी की धाराएं भी अनिश्चित होती हैं, इसलिए एक अनुभवी नेविगेटर की जरूरत होती है. डायना के साथ भी एक टीम थी, जिसमें नेविगेटर, जेलीफिश और शार्क विशेषज्ञ, और डॉक्टर शामिल थे.

पांचवें प्रयास में मिली सफलता

डायना ने 60 से 64 साल की उम्र के बीच पांच बार इस दूरी को पार करने की कोशिश की. तीन बार वह मौत के मुंह से बची थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. आखिरकार, 2 सितंबर को अपने पांचवें और अंतिम प्रयास में, उन्होंने 53 घंटे की लगातार तैराकी के बाद 110 मील की दूरी पार कर ली और क्यूबा से की वेस्ट, फ्लोरिडा पहुंचीं. इस दिन को एक यादगार दिन के रूप में दर्ज कर लिया गया.

मानसिक ताकत की जीत

इतनी लंबी और कठिन तैराकी के बाद डायना ने अपने अनुभव के बारे में कहा, “मैं नरक से गुजरी हूं. सांस लेना मुश्किल था. खारा पानी अपने अंदर न लेना और भी मुश्किल था… लेकिन आप कभी इतने बूढ़े नहीं होते कि अपने सपने को पूरा न कर सकें.” स्थिति ऐसी हो गई थी कि रात में उनकी जीभ और होंठ भी सूज गए थे, उनको लगातार तैराकी के साथ अपनी उर्जा को बनाने के लिए हाई कैलोरी फूड दिया जा रहा था, लेकिन उनके जज्बे ने उम्र को महज एक संख्या साबित कर दिया. डायना के इस साहसिक कारनामे ने मानसिक ताकत की अहमियत को फिर से स्थापित किया और दिखाया कि सही ट्रेनिंग से उम्र के साथ सहन-शक्ति को भी बढ़ाया जा सकता है.

दुनिया के लिए प्रेरणा

डायना न्याड के इस कारनामे ने दुनिया को प्रेरित किया. उनके साहस और धैर्य ने साबित कर दिया कि अगर ठान लिया जाए, तो कुछ भी असंभव नहीं है. उनकी इस प्रेरणादायक कहानी को लेकर 2023 में नेटफ्लिक्स पर ‘न्याड’ नाम की एक फिल्म भी बनाई गई, जिसे आईएमडीबी पर 7.1 की रेटिंग मिली है.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read