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Manipur Violence: पिछले कुछ महीनों से मणिपुर काफी ज्यादा हिंसा प्रभावित राज्य रहा है. इस हिंसा में न जाने कितने परिवार उजड़ गए, उनके घरों को जला दिए गए. इसके चलते ही कई लोगों को अपना घर को खोना पड़ा और अब उन्हें राहत शिवरों में रहना पड़ रहा है. इसी हिंसा का शिकार एक भारतीय युवा फुटबॉल खिलाड़ी भी बना है. हम बात कर रहे हैं. भारत की अंडर-16 फुटबॉल टीम का कप्तान नगामगौहौ मेट (Ngamgauhou Met) की. इनको भी हिंसा के चक्कर में अपना घर खोना पड़ा गया. जब भारतीय युवा खिलड़ी साउथ एशियन फुटबॉल फेडरेशन अंडर-16 चैंपियनशिप जीतकर अपने घर लौटा तो उसे वहां अपना घर नहीं मिला. उसे नहीं पता था कि वापस लौटने के बाद उसे अपने राहत शिविर में रहने पड़ेगा. उसके माता पिता कांगपोकली जिले के एक राहत शिविर में उसका इंतजार कर रहे थे.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के उभरते सितारे नगामगौहौ का घर जातीय हिंसा के दौरान जला दिया गया था. वह 15 साल के हैं और कुकी समुदाय से संबंध रखते हैं. मणिपुर में फुटबॉल का कितना क्रेज है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जिस 23 खिलाड़ियों की भारतीय टीम ने चैंपियनशिप जीती हैं, उसमें 16 खिलाड़ी मणिपुर से ही हैं.
चैंपियनशिप टीम में जो 16 खिलाड़ी मणिपुर से थे उनमें 11 मैतेई, 4 कुकी और मैतेई पंगल (मणिपुरी मुस्लिम) थे. इसके बावजूद भी दोनों समुदायों के बीच हिंसा का माहौल बना रहता है. इसमें गौर करने वाली बात यह भी है कि नगामगौहौ अपनी इस सफलता के लिए भारतीय सीनियर टीम के पूर्व कप्तान रेनेडी सिंह का बहुत आभार व्यक्त करते हैं और वो मैतेई समाज से आते हैं. इम्फाल की क्लासिक फुटबॉल एकेडमी के उतरते सितारे नगामगौहौ ने कहा, “उन्हें हमारी क्षमताओं पर पूरा भरोसा है. वह हमेशा ही हमारी ताकत का स्तंभ रहे हैं.”
नगामगौहौ ने कहते हैं कि, “मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि मेरे आसपास के लोग सुरक्षित हैं. हमारा राज्य बड़े पैमाने पर हिंसा से प्रभावित हुआ है. अब मुझे लगता है कि शांति उम्मीद करनी चाहिए.
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