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VIDEO: सुनील छेत्री के गोल पर विवाद, ISL में हुआ सबसे बड़ा बवाल

Bengaluru FC vs Kerala Blasters: बेंगलुरू के कांतिरवारा स्टेडियम में केरला ब्लास्टर्स और बेंगलुरू एफसी के बीच चल रहे इंडियन सुपर लीग (ISL) मैच में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. भारतीय फुटबॉल के दिग्गज सुनील छेत्री का एक गोल  विवाद का कारण बना. पहले 90 मिनट के नियमन समय के बाद छेत्री ने बेंगलुरू को अतिरिक्त समय के पहले हाफ में बढ़त दिलाई और मैच 0-0 से टाई रहा. छेत्री ने फ्री-किक से गोल किया, लेकिन ब्लास्टर्स इस फैसले से खुश नहीं थे. कोच्चि स्थित संगठन छेत्री द्वारा रेफरी के सीटी बजने से पहले किक लेने से नाराज थे.

एक वायरल वीडियो में केरल के कोच इवान वुकामनोविक ने बेंगलुरू द्वारा गोल दिए जाने के विरोध में उन्हें वॉक-ऑफ करने के लिए कहा. पूरी टीम मैदान छोड़ चुकी थी और छेत्री की अगुआई वाली टीम 20 मिनट बाकी रहने के बावजूद सेमीफाइनल में पहुंच गई. अगले हफ्ते सेमीफाइनल में बेंगलुरु का सामना अब मुंबई सिटी एफसी से होगा.

शुक्रवार 3 मार्च को भी एक नॉकआउट मैच बेंगलुरू एफसी और केरला ब्लास्टर्स के बीच खेला गया, जो बवाल के साथ खत्म हुआ. ऐसा बवाल, जो ISL के इतिहास में आज तक नहीं देखा गया. सिर्फ ISL ही क्या, बल्कि दुनियाभर में होने वाली फुटबॉल लीग या अन्य टूर्नामेंटों में भी ऐसा कभी-कभार ही दिखा है. इस बवाल की वजह बने बेंगलुरू के दिग्गज कप्तान सुनील छेत्री और उनका निर्णायक गोल.

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छेत्री के गोल पर बवाल क्यों?

जब 90 मिनट के खेल के बाद भी दोनों टीमों में से कोई भी गोल नहीं कर पाया तो ऐसे में मुकाबला एक्सट्रा टाइम पर गया. एक्स्ट्रा टाइम के पहले हाफ के छठे मिनट में केरला के बॉक्स से कुछ ही मीटर बाहर सुनील छेत्री ने एक फाउल पर फ्री-किक हासिल की. केरला के डिफेंडर अपने गोल के पास खुद को तैयार कर रहे थे और गोलकीपर भी अपने डिफेंडर्स को आदेश दे रहे थे, जबकि बेंगलुरू के कई खिलाड़ी सुनील छेत्री के आस-पास थे, जो फ्री-किक की तैयारी कर रहे थे.

मैच रेफरी ने इसे गोल करार दिया और बेंगलुरू के खिलाड़ी जश्न में डूब गए. लेकिन केरला के सभी खिलाड़ी रेफरी के पास पहुंच गए और इस गोल पर विरोध दर्ज कराने लगे. उनको इस बात पर आपत्ति थी कि रेफरी के सीटी बजाने से पहले ही छेत्री ने गोल कर दिया, जबकि उनके खिलाड़ी तैयार नहीं थे. रेफरी ने हालांकि इस तर्क को खारिज कर दिया. वहीं केरला के कोच भी असिस्टेंट रेफरी से बहस करते हुए फैसले पर सवाल उठाते रहे. मगर इसका लाभ उन्हें नहीं मिला.

Amit Kumar Jha

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