लैंगिक समानता और सांस्कृतिक विविधता जैसे मुद्दों को बनाया जाना चाहिए दिल्ली न्यायिक अकादमी के पाठय़क्रम का हिस्सा: हाईकोर्ट
न्यायिक शिक्षा और प्रशिक्षण न केवल कानूनी सिद्धांतों पर बल्कि अदालत के सामने आने वाले लोगों के विविध पृष्ठभूमि एवं उसकी वास्तविकताओं पर भी केंद्रित होनी चाहिए. इससे समाज की रूढ़िवादी सोच को बदलने एवं एक बेहतर फैसला देने में मदद मिलेगी.