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Jamiat Ulama-E-Hind

जमीयत की बैठक में लिए गए पहले प्रस्ताव में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने और मुस्लिम पर्सनल लॉ को समाप्त करने के प्रयासों को धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन माना गया.

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने पहले दिन से यह रुख अपनाया हुआ है कि देश के किसी भी राज्य में किसी भी व्यक्ति की संपत्ति पर बुलडोज़र नहीं चलना चाहिए.

जमीअत उलमा-ए-हिंद की वर्किंग कमेटी की बैठक में मुस्लिम नेताओं ने ज्ञानवापी, जामा मस्जिद के मुकदमा और पूजा स्थल संरक्षण अधिनियम 1991 से संबंधित प्रस्ताव पारित किये. मुस्लिम नेताओं ने कहा कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है.