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1952 के लोकसभा चुनावों में अपनी भारी जीत के बाद जवाहर लाल नेहरू ने जेपी को अपने डिप्टी के रूप में अपनी सरकार में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था.