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Makar Sankranti 2025

संगम नोज पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ के मद्देनजर 26 हेक्टेयर क्षेत्र का विस्तार किया गया है, जिससे लाखों श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिल रही है.

कहा जाता है कि भीष्म पितामह, जिन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, उन्होंने अपने प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की थी.

अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार थे तो कुछ पैदल चलते हुए अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए थे. जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुम्भ की पवित्रता को और भी बढ़ा दिया.

इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व पौष माह के समाप्त होने के एक दिन बाद 14 जनवरी को मनाया जाएगा. 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा है और इसी दिन प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ होगा.

मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के साथ मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा.

इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा. जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, तो इसे सूर्य का संक्रमण काल कहा जाता है.

मकर संक्रांति का त्योहार को देश के सभी राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. इसे ‘खिचड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन चावल, उड़द और तिल दान का विशेष महत्व रहता है.

Makar Sankranti 2025: सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष धार्मिक और पौराणिक महत्व है. इस दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं.