Delhi News: एनजीटी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से यमुना के डूब क्षेत्र के ‘ओ’ जोन में चार अनाधिकृत कालोनियों में सीवर लाइन बिछाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को अनुमति देने के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह लगाया है. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि डीडीए का जवाब यह दिखाता है कि ऐसी 90 अनाधिकृत कालोनी हैं, जो ‘ओ’ जोन में हैं.
डीडीए ने चार अनाधिकृत कालोनियों के लिए डीजेबी के आग्रह पर सीवर लाइन बिछाने का अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) दे दिया है. क्या इससे अनाधिकृत कालोनियों में बसने के लिए प्रोत्साहन नहीं दिया जा रहा है. एनजीटी ने उक्त टिप्पणी ‘ओ’ जोन के 161 कालोनियों की वजह से यमुना के डूब क्षेत्र में हो रहे प्रदूषण से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए की. ‘ओ’ जोन में यमुना नदी का तलहटी वाला पूरा क्षेत्र आता है. इसे बाढ के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है और डीडीए ने इस क्षेत्र में किसी भी निर्माण पर रोक लगा रखी है.
डीडीए को अपने फैसले पर फिर से विचार करना होगा
पीठ ने कहा कि ये कालोनी न्यू अरुणा नगर कालोनी (मजनू का टीला), सिरसपुर गांव में भगतसिंह पार्क एक्सटेंशन, मांडू में गढी गांव और तीसरा पुश्ता ढलान रोड पर ओल्ड विलेज उस्मानपुर है. उसने कहा कि डीडीए को इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है. उसे यह विचार करना चाहिए कि क्या इस तरह की एनओसी देकर वह लोगों को ऐसी कॉलोनियों में बसने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रहा है. क्या यह उन परियोजनाओं पर सार्वजनिक धन खर्च नहीं कर रहा है जिनकी कोई दीर्घकालिक उपयोगिता नहीं है, क्योंकि ‘ओ’ जोन से निर्विवाद रूप से अंतत: अनाधिकृत निर्माण हटाया जाना है.
अपना जवाब दाखिल करने के लिए डीडीए ने मांगा समय
डीडीए के वकील ने इस मुद्दे पर विस्तार से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांग लिया. पीठ ने यह भी कहा कि डीजेबी को नोटिस जारी करने के बावजूद उसने कोई जवाब नहीं दिया है. अत: हम चाहते हैं कि सुनवाई की अगली तारीख पर डीजेबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वचरुअल रूप से उपस्थित रहें. उसने यह कहते हुए सुनवाई 11 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी.
— भारत एक्सप्रेस