गंगा, नदी नहीं, मां और संस्कृति है हमारी : पद्मश्री उमाशंकर पांडेय
हमारे पुरखों ने जो जल जमीन के नीचे पानी संजोह कर रखा था उसे हम भूमि में छेद कर अंधाधुंध जल दोहन कर रहे हैं. अब समय आ गया है कि पानी बचाएं.
हमारे पुरखों ने जो जल जमीन के नीचे पानी संजोह कर रखा था उसे हम भूमि में छेद कर अंधाधुंध जल दोहन कर रहे हैं. अब समय आ गया है कि पानी बचाएं.