अदम गोंडवी : ‘जन जन के कवि’, जिनकी ‘गुर्राहट’ ने शोषित वर्ग की खामोशी को दी आवाज
नेताओं और अधिकारियों की सांठगांठ, सरकारी मशीनरी में लगा भ्रष्टाचार का जंग और इन सबसे त्रस्त आम इंसान. वह आम इंसान किस चीज को अपना आदर्श मानेगा, जिसकी सुबह-शाम जिंदगी की बुनियादी जरूरतों को तलाशते हुए डूब जाती हों.
‘अक्सर एक गंध, मेरे पास से गुजर जाती है…’, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, जिन्होंने कविताओं से सिखाया जीने का सलीका
उत्तर प्रदेश में जन्मे कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने अपनी कविताओं से लोगों में जीने की उम्मीद जगाई. वो अपने प्रभावी काम के कारण पत्रकार के रूप में भी प्रसिद्ध हुए.
‘साहब मेरे पास दिल्ली आने के लिए पैसे नहीं हैं…’, दिल को छू लेगी पद्मश्री से सम्मानित हलधर नाग की ये कहानी
ओडिशा की संबलपुरी-कोशली भाषा में हलधर नाग द्वारा लिखी गईं कविताएं काफी प्रसिद्ध हैं. आश्चर्य की बात यह है कि अब तक जो भी काव्य रचनाएं उन्होंने की हैं, लगभग सभी कविताएं उन्हें जुबानी याद हैं.
ब्रिटिश शासन के खिलाफ अभियान चलाने वाले कवि और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को हुआ था. वह भारत के प्रख्यात कवि, लेखक और पत्रकार थे. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी और छायावाद में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है.
…जब एक गीत के चक्कर में साहिर लुधियानवी को पाकिस्तान से भागकर भारत आना पड़ा था
आज 8 मार्च को मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी का जन्मदिन है. उन्हें 20वीं सदी के भारत के महानतम शायर और फिल्म गीतकारों में से एक माना जाता है.
अदम गोंडवी: सत्ता से मुठभेड़ करने वाला कवि, पंक्तियां आज भी नेताओं की नींद हराम करती हैं
(अमृत तिवारी) तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावे किताबी हैं. क्यों, हिल गए ना? आज के राग दरबारी काल में जब ऐसी पंक्ति पढ़ने को मिलेगी तो दिमाग चकराना लाजमी है. यही नहीं, कुछ और लाइनें ऐसी हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद हो सकता है आप …