सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
Digital Signature: डिजिटल सिग्नेचर भी एक ऑथेंटिकेशन टूल होता है जिसमें किसी ट्रांजेक्शन के लिए जरूरी कई सारी चीजें होती हैं जिनमें शुरू होने का समय, डिजिटल डॉक्यूमेंट की स्थिति और स्टार्टिंग प्रूफ शामिल हैं, लेकिन हाल ही में भारतीय क्रिप्टो वॉलेट WazirX हैकिंग का शिकार होने के बाद हड़कंप मचा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हैकिंग में WazirX के वॉलेट से लोगों के 230 मिलियन डॉलर यानी करीब 1,900 करोड़ रुपये निकाले गए हैं.
बता दें कि आम सिग्नेचर की तरह ही डिजिटल सिग्नेचर यूजर्स की वास्तविकता को प्रूफ करता है. इस हैकिंग को मल्टी सिग्नेचर वॉलेट के जरिए अंजाम दिया गया है जिसका इस्तेमाल लोग डिजिटल सिग्नेचर के लिए करते हैं. हैकर ने इन्हीं डिजिटल सिग्नेचर को कॉपी करके लोगों के वॉलेट में घुसपैठ करके करोड़ों रुपये उड़ा दिए हैं. एसिमेट्रिक क्रिप्टोग्राफी के आधार पर सूचना या कमांड को सत्यापित करने के लिए एक डिजिटल हस्ताक्षर बनाया जाता है. डिजिटल हस्ताक्षर बनाने के लिए निजी और सार्वजनिक कीज की एक जोड़ी बनाने की आवश्यकता होती है. बता दें कि अगर आप भी किसी साइट की मदद से डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल करते हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है.इसके लिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि आप टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन को ऑन रखें.
जानें ये कैसे करता है काम?
बता दें कि पिछले महीने ही WazirX हैक हुआ था जिसके बाद हैकर ने उसके यूजर्स के 19,000 करोड़ निकाल लिए. इस घटना को लेकर कंपनी ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहा था कि एक सिक्योरिटी खामी के कारण यह सब हुआ. मालूम हो कि निजी कीज का इस्तेमाल साइन बनाने के लिए किया जाता है और सार्वजनिक कीज का इस्तेमाल हस्ताक्षर को सत्यापित करने के लिए किया जाता है. इस तरह से डिजिटल हस्ताक्षर सार्वजनिक कीज पर डिपेंड रहता है. गणितीय रूप से जुड़ी निजी कीज और सार्वजनिक कीज तैयार करने के लिए, रिवेस्ट-शमीर-एडलमैन जैसे सार्वजनिक कीज एल्गोरिदम का इस्तेमाल होता है. जिस तरह से इंसानों के हस्ताक्षर अलग-अलग व अद्वितीय होते हैं ठीक वैसे ही ये सॉफ्टवेयर भी अब तक मौजूद सभी अन्य से भिन्न अद्वितीय डिजिटल हस्ताक्षर उत्पन्न करते हैं.
-भारत एक्सप्रेस