भारतीय रिजर्व बैंक (फाइल फोटो)
RBI Rules For Banks:भारतीय रिजर्व बैंक ने वैकल्पिक निवेश कोष के जरिए पुराने लोन को लौटाने के लिए नए कर्ज लेने की व्यवस्था करते रहे हैं. इससे आर्थिक स्थिति में गिरावट और एनपीए भी बढ़ सकता है. इसको लेकर अब आरबीआई ने बड़ा फैसला किया है. आरबीआई ने बैंकों, गैर बैंकिंग, वित्तीय कंपनियों और संस्थानों को इस चालाकी का इस्तेमाल न करने की बात कही है.
इस मामले में आरबीआई (Reserve Bank Of India) द्वारा एक एडवाइजरी जारी की गई है. इस एडवाइजरी में कहा गया है कि बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) उस वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) की किसी भी योजना में निवेश नहीं कर सकती है, जिसने वित्तीय संस्थान से पिछले 12 महीनों में कर्ज लेने वाले कर्जदाताओं की कंपनी में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निवेश कर रखा है.
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वेंचर कैपिटल फंड, एंजल फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड और हेज फंड समेत कुछ अन्य संस्थान वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) की श्रेणी में आते हैं. रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर जारी कर कहा, “एआईएफ से जुड़े आरई के कुछ लेनदेन जो नियामकीय चिंताओं से जुड़े हैं, हमारे संज्ञान में आए हैं.” रिजर्व बैंक ने कहा है कि नए कदम एआईएफ के जरिये पुराने कर्ज को लौटाने के लिए नई कर्ज देने की व्यवस्था पर रोक लगाने को उठाए गए हैं.
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बैंक और NBFC अपने नियमित निवेश गतिविधियों के तहत AIF की इकाइयों में निवेश करती हैं. बाजार नियामक SEBI ने AIF के जरिए निवेश करने की जानकारी को RBI के साथ शेयर किया था. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंक और NBFC AIF की किसी भी योजना में निवेश नहीं कर सकते, जिसने वित्तीय संस्थान से कर्ज लेने वाले कर्जदाताओं की कंपनी में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निवेश कर रखा है. आरबीआई ने वित्तीय संस्थानों से कहा है कि ऐसे निवेश को 30 दिन के भीतर समाप्त करने की जरूरत होगी. अगर बैंक और NBFC निर्धारित समय सीमा में निवेश को समाप्त नहीं कर पाते हैं, उन्हें ऐसे निवेश के लिए 100 फीसदी प्रॉविजन करना होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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