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RBI का नया नियम आपको कर देगा खुश! अब fastag में बार-बार रिचार्ज करने की नहीं पड़ेगी जरूरत, जानिए ऐसा क्‍या बदला

इन पेमेंट सिस्‍टम में अमाउंट तय लिमिट से कम होते ही कस्‍टमर्स के अकाउंट से पैसे ऑटोमैटिक जुड़ जाएंगे. इसका मतलब है कि अब फास्‍टैग यूजर्स को बार-बार फास्टैग रिचार्ज करने की आवश्‍यकता नहीं होगी.

Fastag Rule

Fastag Rule

RBI New Rule: यात्रा के दौरान आपको हमेशा टोल पार करने के लिए फास्टैग को रीचार्ज करने की जरूरत पड़ती है. साथ ही हमेशा सफर पर निकलने से पहले फास्टैग के बैलेंस का ध्यान भी देना पड़ता है क्योंकि अगर टोल गेट पर पहुंचने पर आपके फास्टैग में पैसे नहीं हुए तो आपको दोगुना टोल चुकाना पड़ता है.

या फिर टोल गेट से वापस आकर रिचार्च करके कुछ देर पैसे के फास्टैग अकाउंट में अपडेट होने का इंतजार करना पड़ता है. मगय ये सब झंझट अब खत्म होने वाले हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने फास्टैग में बैंक अकाउंट से डायरेक्ट पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा शुरू कर दी है. इस सुविधा का फायदा नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) वाले भी उठा सकेंगे.

ऑटोमेटिक FASTag में पैसे हो जाएंगे ट्रांसफर

RBI ने फास्टैग और एनसीएमसी में ऑटोमेटिक पैसे ट्रांसफर करने के लिए ई-मैंडेट फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी है. ऐसे में आपको इन्हें बार-बार रीचार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. फास्टैग के जरिए टोल कलेक्शन के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी (RFID Technology) का इस्तेमाल किया जाता है ताकि आप बिना कैश पेमेंट किए तेजी से टोल प्लाजा को पार कर सकें.

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RBI ने क्या कहा?

RBI ने एक सर्कुलर में कहा कि फास्टैग और एनसीएमसी में बैलेंस की ऑटो-रिप्लेनिसमेंट जो कस्टमर्स द्वारा तय सीमा से कम बैलेंस होने पर ट्रिंगर हो जाती है. अब ये मौजूदा ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत आएगी. ये ट्रांजैक्शन रेकरिंग लेकिन समय के अनुसार अनियमित होने के कारण, वास्तविक शुल्क से 24 घंटे पहले ग्राहकों को प्री-डेबिट नोटिफिकेशन भेजने की आवश्यकता से मक्त होंगे.

क्या है ई-मैंडेट फ्रेमवर्क?

ई-मैंडेट फ्रेमवर्क यानी भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से दैनिक, साप्ताहिक, मासिक आदि जैसे अवधि वाली सुविधाओं के लिए निश्चित समय पर ग्राहक के खाते में भुगतान अपने आप हो जाता है. इसमें ऐसे फीचर्स और प्लेटफॉर्म्स को जोड़ा जा रहा है, जिनके लिए पेमेंट का कोई समय तय नहीं है जबकि पेमेंट जमा राशि कम होने पर किया जाता है. यह RBI के जरिए शुरू की गई एक डिजिटल पेमेंट सर्विस है, जिसकी शुरुआत साल 2020 से हुई है.

-भारत एक्सप्रेस 

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