Kashi Ka Kayakalp Conclave: जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के पूर्व कुलपति प्रोफेसर योगेंद्र सिंह और माइक्रोटेक कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के कार्यकारी निदेशक डॉ. पंकज राज हंस ने भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क के ‘काशी का कायाकल्प’ मेगा कांक्लेव में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने काशी में शिक्षा और इसके विकास को लेकर अपनी बात रखी.
प्रो. योगेंद्र सिंह ने कहा कि काशी और उज्जैन दोनों शिक्षा के केंद्र हैं. आजादी के समय जब देश में चार विश्वविद्यालय की स्थापना हो रही थी उसी समय एक विद्यापीठ की स्थापना काशी में हुई. इसमें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का भी नाम आता है. हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) शिक्षा का केंद्र है, जिसको हम सर्व विद्या की राजधानी कहते हैं.
कौशल ज्ञान के साथ आगे बढ़ें स्टूडेंट
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को शिक्षा में कौशल ज्ञान के साथ आगे बढ़ना चाहिए. ज्ञान को कर्म के साथ जोड़ना ही राष्ट्र का विकास है. कुशलता के लिए शिक्षा और विद्या की जरूरत है. उन्होंने बताया कि वेदों में इस बात का वर्णन है कि जीवन का लक्ष्य धर्म, अर्थ काम मोक्ष ही है.
प्रो. सिंह ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जब वह पहली बार बलिया विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति बने तब उनको कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस सरकार में शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है. वर्तमान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया है. इस सरकार के कारण बलिया का विश्वविद्यालय फल-फूल रहा है. भारत में शिक्षा को ज्ञान के साथ कौशल के रूप में देखा जा रहा है. जिसके पास ज्ञान होगा वो पूरी दुनिया में अपनी बातों को रखेगा.
क्या बोले डॉ. पंकज राज हंस
माइक्रोटेक कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के कार्यकारी निदेशक डॉ. पंकज राज हंस ने कहा कि आज के समय में कंप्यूटर इंजीनियरिंग काफी जरूरी है. आज का समय AI का है. आज काशी के कई संस्थानों में AI और इससे एक कदम आगे ब्लॉकचेन तक की तकनीक उपयोग की जा रही है. काशी के लोग तकनीकी के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ते जा रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि पिछले कई सालों में भारत में कई अच्छे विषयों पर रिसर्च किए गए, जिनमें से कई रिसर्च पेटेंट भी हुए. बावजूद इसके भारत के कई रिसर्च का वैश्विकरण नहीं किया गया. किसी भी रिसर्च को प्लेटफॉर्म मिलना काफी आवश्यक होता है, जिससे विश्व में इसके बारे में जानकारी पहुंचाई जा सके.
संस्थानों में सीट की कमी
जब डॉ. हंस से पूछा गया कि वाराणसी के स्टूडेंट्स बाहर क्यों जा रहे, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि काशी के शैक्षणिक संस्थानों में सीट की कमी के कारण यहां के छात्र बाहर का रुख करते हैं. IIT BHU में केवल 400 सीटें हैं. सीटों की कमी, संस्थानों की कमी के कारण ऐसा देखने को मिल रहा है. कॉन्क्लेव में उन्होंने कई ऐसे मुद्दों और विषयों पर भी चर्चा की, जिसमें अभी भी बदलाव की जरूरत है.
-भारत एक्सप्रेस
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