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डॉ सुशील सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत, एसएलपी खारिज

केपी ट्रस्ट अध्यक्ष पद के विवाद में डॉ. सुशील कुमार सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी.

Allahabad High Court

केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष पद चुनाव को लेकर पूर्व अध्यक्ष डॉ सुशील कुमार सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा विशेष अपील खारिज करने के विरुद्ध दाखिल विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पी नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति आर महादेवन की खंडपीठ ने दिया है। खंडपीठ ने कहा कि हमें सूचित किया गया है कि मुख्य रिट याचिका अब अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. इस दृष्टिकोण से हम विवादित आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं, जो अस्थायी प्रकृति का है। ऐसे में विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है.

यह कहने की जरूरत नहीं है कि हमने मामले के गुणदोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है. साथ ही लंबित आवेदन यदि कोई हो खारिज माना जाएगा.

डॉ. सुशील कुमार सिन्हा को अध्यक्ष पद से हटाने पर मुहर

एडवोकेट सत्यव्रत सहाय ने बताया कि डॉ सुशील सिन्हा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सहायक रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज व चिट्स द्वारा गत 28 मार्च को जारी चुनाव परिणाम को चुनौती दी थी, जिसमें पुनर्मतगणना के बाद उन्हें पद से हटाकर चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह को अध्यक्ष घोषित किया गया था. डॉ सिन्हा का कहना था कि सहायक रजिस्ट्रार ने उनके पक्ष में जारी 25 दिसंबर 2023 के चुनाव प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया, जिसका उन्हें अधिकार नहीं है. क्योंकि सक्षम प्राधिकारी एसडीएम ने सिर्फ दोबारा मतगणना और परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था.

चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह की ओर से तर्क दिया गया कि सहायक रजिस्ट्रार के चुनाव प्रमाण पत्र का कोई कानूनी महत्व नहीं है क्योंकि अधिनियम या नियमों में ऐसे किसी प्रमाण पत्र को जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है.
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा था कि चुनाव प्रमाण पत्र का अपने आप में कोई कानूनी दर्जा नहीं है.

सहायक रजिस्ट्रार ने 28 मार्च को परिणाम घोषित करने के बाद दो अप्रैल को अधिनियम की धारा 4(1) के तहत पदाधिकारियों की सूची भी पंजीकृत कर ली है. यह भी कहा था कि कानूनी व्यवस्था पदाधिकारियों के पंजीकरण की है, न कि किसी प्रमाण पत्र के जारी करने की.

इसी के साथ अपील में की गई मांग को बलहीन करार देते हुए इसे खारिज कर दिया था. एसएलपी में इसी आदेश को चुनौती दी गई थी.


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भारत एक्सप्रेस



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