
प्रयागराज महाकुंभ
प्रयागराज के संगम तट आयोजित हुए महाकुंभ की गूंज रंगों के पर्व होली पर भी सुनाई पड़ रही है. होली के पारंपारिक गीतों में महाकुंभ मेला में श्रृद्धालुओं का रेला और योगी सरकार की तरफ से किए गए इसके भव्य आयोजन की बहुरंगी झलक को लोक कलाकारों ने अपने सुरों में पिरोया है जिसकी होली के गीतों के बाजार में धूम है.
होली के फगुआ में चढ़ा प्रयागराज महाकुंभ का खुमार
धार्मिक आस्था, अध्यात्म और लोक परम्परा के महापर्व प्रयागराज महाकुंभ के समापन के बाद भी महाकुंभ का खुमार कम नहीं हो रहा है. मस्ती और लोक आस्था के पर्व होली के गीतों में इस बार प्रयागराज महाकुंभ की गूंज सुनाई पड़ रही है. उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकेडमी से पुरस्कृत उदयचंद परदेशी ने होली के गीतों में सबसे अधिक इसे जगह दी गई है. उनके फगुआ ” महाकुंभ भइल एहि बार बोलो ..सारारा, मोदी योगी की सरकार बोलो सरारा…” ने होली के गीतों के बाजार में धूम मचा रखी है.
होली के इस फगुआ में महा कुंभ में आने वाली 66 करोड़ से अधिक की सनातनी भीड़ से लेकर इस महा कुंभ में बनाए गए सभी रिकॉर्ड का भी जिक्र है. उदय चंद परदेसी बताते हैं, प्रदेश की योगी सरकार ने लोक आस्था के महा पर्व महा कुंभ को जो दिव्य और भव्य स्वरूप दिया उससे लोक गायक और लोक लेखक अपने आप को अलग नहीं रख सकता है क्योंकि वह भी उसी लोक का हिस्सा है. महाकुंभ के समापन और होली के आगमन के बीच बहुत कम दिनों का अंतर है, ऐसे में इस महा आयोजन को शामिल किए बिना फगुआ अधूरा अधूरा लग रहा था. इसलिए उन्होंने अपने होली के लोक गीतों में इसे जगह दी है.
होली के फगुआ में धार्मिक आस्था
महाकुंभ और होली का नजदीकी रिश्ता है. भारतीय लोक कला महा संघ के प्रदेश अध्यक्ष और फगुआ गायक कमलेश यादव कहते हैं कि महाकुंभ का समापन महाशिवरात्रि के पर्व के साथ होता है और उसके पहले ही माघी पूर्णिमा से फाल्गुन लग जाता है. होली के गीतों फगुआ की शुरुआत भी तभी से हो जाती है. महा शिवरात्रि में भगवान शिव की बारात में फगुआ भी गाया जाता है.
लोक गायक और होली गीतों के लेखक सूरज सिंह का कहना है कि लोक परम्परा में होली गीत 21 तरह के होते हैं. फाल्गुन माह में गाए जाने की वजह से इन्हें सामूहिक रूप से फगुआ कह दिया जाता है. लेकिन महाकुम्भ को लेकर जो होली गीत धूम मचा रहे हैं उसमें बेलवरिया, चैता, धमाल, चौताला, धमाल और उलाहरा शामिल हैं. लोक गायक कंचन यादव का कहना है कि होली के इन गीतों में स्तोभ “सारारा” का इस्तेमाल किया गया है जो कबीर पंथी और योग पंथी लोक परम्परा से जुड़ा है जिसमें जागीरा और कबीरा का इस्तेमाल होता है.
“योगी ने इतिहास रचाया, ऐसा महा कुंभ सजवाया, स्वर्ग जैसा स्वप्न साकार… बोलो सारारा…”
महाकुंभ के होली गीत में भी इसे पिरोया गया है जिससे फगुआ की मस्ती कई गुना बढ़ गई है.
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-भारत एक्सप्रेस
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