
बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को हुए तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को हिंसा का शिकार होना पड़ा. शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए इस आंदोलन के बाद बांग्लादेश में पूरी तरह से अराजकता फैल गई. रिपोर्ट के अनुसार, तख्तापलट के दौरान और बाद में 32 हिंदुओं की हत्या, 13 महिलाओं के साथ बलात्कार और 133 मंदिरों पर हमले किए गए. ये घटनाएं 4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक हुईं, जो बांग्लादेश में धार्मिक हिंसा के लिए एक काले अध्याय के रूप में जानी जाएंगी.
तख्तापलट के बाद बिगड़ी स्थिति
5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन के बाद देश में तख्तापलट हुआ. हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा और इसके साथ ही बांग्लादेश में स्थिति बिगड़ गई. पुलिस ने काम करना बंद कर दिया और पूरे देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई. हिंसा ने तख्तापलट के बाद पूरे देश को अपने घेरे में ले लिया, और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को खासतौर पर इसका शिकार बनाया गया.
हिंसा की शुरुआत और उसके प्रभाव
बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, तख्तापलट के बाद पहले 15 दिनों में 2010 हिंसक घटनाएं हुईं. इन घटनाओं का प्रभाव 1705 अल्पसंख्यक परिवारों पर पड़ा, जिनके घरों और दुकानों पर हमले किए गए. इन हमलों में लूटपाट, आगजनी और मारपीट की घटनाएं शामिल थीं. करीब 50 हजार लोग इन घटनाओं से प्रभावित हुए और कई परिवारों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.
पूजा स्थलों और हिंदुओं पर हमला
प्यार और विश्वास के केंद्र माने जाने वाले पूजा स्थलों पर भी हमले किए गए. रिपोर्ट के अनुसार, इन 15 दिनों में कुल 69 पूजा स्थलों पर हमले हुए. इस दौरान हिंदुओं के खिलाफ हिंसा चरम पर थी, जिसमें 9 हिंदुओं की हत्या की गई. इन हत्याओं में धार्मिक घृणा प्रमुख कारण रही. कई हत्याएं बहुत क्रूरता से की गईं, जिनमें घरों में घुसकर लोगों को मारना और सरेआम हत्या करना शामिल था.
तख्तापलट के बाद हुई हिंसा
20 अगस्त 2024 के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली, लेकिन सांप्रदायिक हिंसा का दौर जारी रहा. 20 अगस्त से 31 दिसंबर 2024 तक 4 महीने और 10 दिनों में कुल 174 हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें 23 लोगों की हत्या, 64 पूजा स्थलों पर हमले और 9 महिलाओं के साथ बलात्कार हुए. ये घटनाएं बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में फैल गईं और समुदायों के बीच तनाव और घृणा को और बढ़ाया.
बांग्लादेश सरकार की कार्रवाई
इन घटनाओं के बाद बांग्लादेश सरकार ने कड़ी कार्रवाई शुरू की. 10 दिसंबर 2024 तक कुल 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 88 मामले दर्ज किए गए. हालांकि, सरकार ने कार्रवाई की है, लेकिन इन हिंसक घटनाओं के कारण बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर चिंता बढ़ गई है.
सांप्रदायिक हिंसा का प्रभाव
लगातार हो रही सांप्रदायिक हिंसा का महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर गहरा असर पड़ा. यह हिंसा न केवल धार्मिक तनाव को बढ़ावा देती है, बल्कि समाज में विभाजन और असुरक्षा की भावना भी पैदा करती है. बांग्लादेश में हुए इन घटनाओं ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि धार्मिक असहिष्णुता किसी भी समाज के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है.
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंसा के जो दृश्य सामने आए, वे केवल धार्मिक हिंसा के मामलों को दर्शाते हैं, जो समाज को पीछे धकेलने का काम करते हैं. ऐसे माहौल में शांति और भाईचारे की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है. बांग्लादेश सरकार को चाहिए कि वह इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच करें और समाज में शांति व सुरक्षा सुनिश्चित करें.
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-भारत एक्सप्रेस
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