Dulcibella camanchaca
हमारी पृथ्वी का 71% हिस्सा महासागरों से ढका हुआ है, लेकिन इनका बहुत छोटा हिस्सा ही खोजा जा सका है. अब तक हम अपने महासागरों के केवल 5% के बारे में ही जानते हैं, बाकी 95% हिस्सा आज भी रहस्य बना हुआ है. महासागर की गहराई 11 किलोमीटर तक होती है जहां वातावरण काफी चुनौतीपूर्ण होता है. इतनी गहराई में दबाव 16,000 पाउंड प्रति वर्ग इंच होता है, चारों ओर अंधेरा और तापमान जमा देने वाला होता है. लेकिन ऐसे कठिन माहौल में भी अद्भुत जीव पाए जाते हैं.
हाल ही में अमेरिका और चिली के वैज्ञानिकों ने एक अनोखा जीव खोजा है. इस जीव का नाम डुल्सिबेला कमांचाका (Dulcibella camanchaca) रखा गया है. यह एक प्रकार का क्रस्टेशियन (झींगा मछली जैसा जीव) है. इसे दक्षिण अमेरिका के तट के पास अटाकामा ट्रेंच में खोजा गया. यह जीव 7,902 मीटर की गहराई पर मिला, जो गहरे समुद्र की खोज में एक बड़ी उपलब्धि है.
शिकार करने वाला खास जीव
वैज्ञानिकों ने बताया कि यह जीव अपने भोजन के लिए शिकार करता है. आमतौर पर इस तरह के जीव समुद्र में गिरी सड़ी-गली चीजों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन डुल्सिबेला कमांचाका अन्य छोटे जीवों को पकड़कर खाता है. यह पहला ऐसा जीव है जिसे 6,000 मीटर से अधिक की गहराई पर शिकार करते हुए देखा गया है. यह इलाका पृथ्वी पर सबसे कम खोजा गया स्थान है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र का अध्ययन भविष्य में जीवन के रहस्यों को सुलझाने में मदद कर सकता है. यहां की स्थितियां बर्फीले चंद्रमाओं जैसे यूरोपा (Europa) और एन्सेलाडस (Enceladus) से मिलती-जुलती हैं. इनका अध्ययन एलियन जीवन के बारे में भी जानकारी दे सकता है.
नाम का खास मतलब
डुल्सिबेला कमांचाका केवल एक नई प्रजाति ही नहीं, बल्कि एक नया जीनस भी है. इसे डुल्सिबेला नाम दिया गया है, जो प्रसिद्ध स्पेनिश उपन्यास “डॉन क्विक्सोट” की एक पात्र डुल्सिनिया डेल टोबोसो से प्रेरित है. लेकिन “डुल्सिनिया” नाम पहले ही किसी और जीव को दिया जा चुका था, इसलिए इसका नाम कमांचाका रखा गया. स्थानीय दक्षिण अमेरिकी भाषाओं में “कमांचाका” का मतलब “अंधकार” होता है.
यह छोटा जीव 4 सेंटीमीटर से भी कम लंबा है. इसका रंग हल्का सफेद है जो इसे गहरे अंधेरे में खुद को छिपाने में मदद करता है. इसके पंजे जैसे अंग (रैप्टोरियल अपेंडेजेस) इसे शिकार पकड़ने और खाने में मदद करते हैं.
कैसे हुई खोज
इस जीव को 2023 में चिली के इंटीग्रेटेड डीप-ओशन ऑब्जर्विंग सिस्टम (Integrated Deep-Ocean Observing System) अभियान के दौरान खोजा गया. वैज्ञानिकों ने एक विशेष लैंडर वाहन और बाइटेड ट्रैप्स का उपयोग कर इसे समुद्र से बाहर निकाला. इस खोज से गहरे महासागर के नए रहस्यों का खुलासा हुआ और जीवन की हमारी समझ को बढ़ावा मिला.
-भारत एक्सप्रेस
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