फोटो-सोशल मीडिया
China Military Base: चीन की नापाक हरकतें लगातार सामने आ रही हैं. जब वह पूर्वी लद्दाख पर कब्जा जमाने में कामयाब नहीं हुआ तो अब पीओके की तरफ नजरें घुमा ली है और 13 हजार फीट की ऊंचाई पर तजाकिस्तान में गुप्त सैन्य अड्डा बना रहा है. ये जगह पीओके के करीब ही है. इस बात का खुलासा सैटेलाइट तस्वीर में हुआ है. हालांकि मीडिया में चल रही इन खबरों को चीन ने सिरे से नकार दिया है लेकिन दावा किया जा रहा है कि चीन इस इलाके में गुप्त सैन्य अड्डा बनाने के साथ वहां ऑर्टिलरी जमा करना चाहता है.
चीन हमेशा से अपने पड़ोसी देशों की जमीन पर कब्जा जमाने के लिए कोशिशें करता रहा है, जिससे उसकी विस्तारवादी मानसिकता का पता चलता है. फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल इस सेटेलाइट तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि चीन पीओके से सटे तजाकिस्तान में सैन्य अड्डा बना रहा है और यह काम दशकों से चल रहा है. द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट ने इसका खुलासा किया है, जिसमें उपग्रह तस्वीरों के हवाले से बताया गया है कि चीन करीब एक दशक से तजाकिस्तान में सैन्य अड्डा बना रहा है जो कि 13 हजार फीट की ऊंचाई पर है. मालूम हो कि तजाकिस्तान सोवियत संघ रूस से अलग होकर एक अलग स्वतंत्र देश बना है.
ये भी पढ़ें-टीवी देखने पर नॉर्थ कोरिया में दी गई 30 बच्चों को सजा; वजह जानकर उड़ जाएंगे होश
चीन ने किया खंडन
बता दें कि मैक्सार टेक्नोलॉजीज ने उपग्रह से ली गई कुछ तस्वीरें शेयर की गई हैं, जिसमें दावा किया गया है कि चीन गुप्त सैन्य अड्डा बना रहा है. तस्वीरों में सैन्य बेस की दीवारें और आने-जाने वाले रास्ते नजर आ रहे हैं. तो दूसरी ओर इस तरह की खबरें मीडिया में आने के बाद इसको लेकर चीन ने जवाब दिया है और इसका खंडन किया है. इसको लेकर चीनी दूतावास ने कहा, तजाकिस्तान में चीनी सैन्य अड्डे को लेकर जो खबरें मीडिया में चल रही हैं, वह पूरी तरह से गलत और निराधार हैं. यह मुद्दा चीन-तजाकिस्तान एजेंडे में भी नहीं शामिल है.
चीन मध्य एशिया में मजबूत कर रहा है अपनी पकड़
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों ने इसे साल 2021 में बनाया है और इसे काउंटर टेरर बेस नाम दिया गया है. चीन इस सैन्य अड्डे के जरिए मध्य एशिया में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. तो वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इस सैन्य अड्डे पर दोनों देशों ने निगरानी टॉवर लगा रखे हैं. जिस जगह पर सैन्य अड्डा बनाया गया है, रणनीतिक तौर पर यह काफी महत्वपूर्ण है और अफगान सीमा पर है. इसी के साथ ही इस बात का भी खुलासा किया गया है कि पहाड़ पर करीब 4 हजार मीटर की ऊंचाई पर इसे बनाया गया है.
-भारत एक्सप्रेस