

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह और भरोसेमंद तरीके से नहीं रोकता, तब तक सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) निलंबन में ही रहेगी.
न्यूयॉर्क में शुक्रवार देर रात सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में “सशस्त्र संघर्षों में जल की रक्षा – नागरिक जीवन की सुरक्षा” विषय पर बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनैनी हरीश ने पाकिस्तान द्वारा फैलाई जा रही “भ्रामक सूचनाओं” का करारा जवाब दिया.
उन्होंने कहा, “भारत ने यह निर्णय लिया है कि जब तक पाकिस्तान, जो वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है, आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता, तब तक यह संधि प्रभाव में नहीं लाई जाएगी. यह स्पष्ट है कि संधि का लगातार उल्लंघन पाकिस्तान ही करता रहा है.”
राजदूत हरीश ने यह भी कहा कि भारत ने बीते वर्षों में असाधारण धैर्य और सद्भावना दिखाई, लेकिन पाकिस्तान की प्रायोजित आतंकवाद की नीति ने भारतीय नागरिकों की जान, धार्मिक सौहार्द और आर्थिक तरक्की को बंधक बना दिया है.
हरीश ने यह भी खुलासा किया कि पिछले दो वर्षों में भारत ने कई बार पाकिस्तान से संधि में आवश्यक बदलावों पर चर्चा की पेशकश की, लेकिन हर बार इस्लामाबाद ने टालमटोल और रुकावट की नीति अपनाई. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की अड़ियल सोच भारत को उसके वैध जल अधिकारों का पूरा उपयोग करने से रोक रही है.”
इस सप्ताह की शुरुआत में विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक संसदीय समिति को सिंधु बेसिन में बदलते हालात की जानकारी दी थी. मंत्रालय ने आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों की जरूरत, जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने जैसे कारणों का हवाला देते हुए संधि की शर्तों पर पुनर्विचार को जरूरी बताया.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी अपने ब्रीफिंग में कहा था कि 1960 में हुई यह संधि “मैत्री और सद्भाव” की भावना के तहत की गई थी, लेकिन पाकिस्तान ने वर्षों से इन सिद्धांतों को ताक पर रखा है.
UN में उसी दिन एक और बहस के दौरान जब पाकिस्तान के राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने कश्मीर मुद्दा उठाया और भारत-पाक के बीच हालिया तनाव का जिक्र किया, तो राजदूत हरीश ने पाकिस्तान की कथनी और करनी पर सवाल उठाए. उन्होंने दो टूक कहा कि “जो देश आतंकवादियों और नागरिकों के बीच फर्क नहीं करता, उसे नागरिकों की सुरक्षा पर बात करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.”
हरीश ने बताया कि भारत ने दशकों से पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी हमलों का सामना किया है, और अब समय आ गया है कि पाकिस्तान जिम्मेदारी ले और अपने व्यवहार में बदलाव लाए.
-भारत एक्सप्रेस
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