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एक साल में 1738 बार फटा है ये ज्वालामुखी, अधिकारियों ने जारी की चेतावनी, जानें क्या है मामला

सेंटर फॉर वोल्केनोलॉजी एंड जियोलॉजिकल हैजर्ड मिटिगेशन (PVMBG) ने चेतावनी जारी करते हुए ज्वालामुखी के 8 किलोमीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की गतिविधि पर प्रतिबंध लगा दिया है.

Mount Semeru

इंडोनेशिया (Indonesia) के जावा द्वीप पर स्थित सेमेरू ज्वालामुखी (Mount Semeru) सोमवार को एक बार फिर से फट गया. स्थानीय समयानुसार सुबह 03:35 बजे हुए इस विस्फोट के दौरान शिखर से करीब 1 किलोमीटर ऊपर तक राख का घना बादल फैल गया. सेमेरू ज्वालामुखी ऑब्जर्वेशन पोस्ट के अधिकारी घुफ्रोन अल्वी ने बताया कि यह विस्फोट 122 सेकंड तक चला और इसे उच्च अधिकतम एम्प्लिट्यूड वाले सीस्मोग्राफ पर दर्ज किया गया.

इससे पहले, स्थानीय समयानुसार सुबह 01:47 बजे एक अन्य विस्फोट हुआ था, जिसकी अवधि 146 सेकंड थी. इस दौरान भी 1 किलोमीटर ऊंचा राख का स्तंभ देखा गया. जनवरी से 11 नवंबर, 2024 तक माउंट सेमेरू 1,738 बार विस्फोट कर चुका है, जो इसकी सक्रियता को दर्शाता है.

अधिकारियों ने जारी की चेतावनी

सेंटर फॉर वोल्केनोलॉजी एंड जियोलॉजिकल हैजर्ड मिटिगेशन (PVMBG) ने चेतावनी जारी करते हुए शिखर के 8 किलोमीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की गतिविधि पर प्रतिबंध लगाया है. इसमें बेसुक कोबोकन नदी का तट भी शामिल है, जहां गर्म राख और लावा प्रवाह का खतरा बना हुआ है. अधिकारियों ने शिखर से 13 किलोमीटर तक गर्म राख और लावा प्रवाह की संभावना के बारे में भी चेतावनी दी है, जिससे लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.

माउंट लेवोटोबी में भी विस्फोट

इंडोनेशिया में माउंट सेमेरू के अलावा, माउंट लेवोटोबी भी 7 नवंबर को सक्रिय हो गया था. इस विस्फोट के कारण राख का बादल 5,000 मीटर की ऊंचाई तक फैल गया. इसके चलते ज्वालामुखी विज्ञान और भूवैज्ञानिक आपदा न्यूनीकरण केंद्र ने उच्चतम एविएशन अलर्ट जारी किया. माउंट लेवोटोबी पूर्वी नुसा तेंगारा प्रांत में स्थित है.

ज्वालामुखीय गतिविधियों से खतरा

इंडोनेशिया में लगभग 130 सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जो प्रशांत महासागर के “रिंग ऑफ फायर” का हिस्सा हैं. यह क्षेत्र अत्यधिक भूकंपीय गतिविधियों और ज्वालामुखीय विस्फोटों के लिए जाना जाता है. इन विस्फोटों से न केवल लोगों की जान पर खतरा होता है, बल्कि कृषि भूमि को भी नुकसान पहुंचता है. इसके अलावा, ये विस्फोट सुनामी, मलबा प्रवाह और पाइरोक्लास्टिक प्रवाह का कारण बन सकते हैं, जो जीवन और संपत्ति के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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