दुनिया

Israel Hamas War: ‘फिलिस्तीन की इतनी चिंता है तो…’, तस्लीमा नसरीन की बांग्लादेशी मुस्लिमों को नसीहत

Taslima nasreen On Islam: स्‍वतंत्र मुस्लिम लेखिका तसलीमा नसरीन ने इजरायल-हमास की जंग के बीच कट्टरपंथी विचारधारा के मुसलमानों को धिक्‍कारा है. तसलीमा नसरीन ने कहा कि दुनिया में कहीं भी किसी पर अत्याचार हो, उसकी मैं निंदा करती हूं. मगर बांग्लादेश के लोग जिस तरह से फिलिस्तीनियों के लिए परेशान हैं, उन्हें अपने देश में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के बारे में भी उतना ही सोचना चाहिए. बांग्लादेशी नागरिक फिलिस्तीनियों पर अत्याचारों को लेकर बहुत उत्तेजित दिख रहे हैं.

रविवार को पीटीआई को दिए इंटरव्यू में तसलीमा नसरीन ने कहा, “मैंने सुना है कि मेरे साथी बांग्लादेशी नागरिक फिलिस्तीनियों पर अत्याचारों को लेकर बहुत उत्तेजित हैं. कुछ लोग मदद के लिए फिलिस्तीन भी जाना चाहते हैं. व्यक्तिगत रूप से मैं दुनिया में कहीं भी किसी भी अत्याचार की निंदा करती हूं”. गौरतलब हो कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ आए रोज हमलों की खबरें आती हैं, वहां मुस्लिम कट्टरपंथी अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार करते हैं.

बांग्लादेशी मूल की लेखिका तसलीमा नसरीन ने इस पर बात करते हुए आज कहा कि मेरे हमवतन जो फिलिस्तीनियों के खिलाफ अत्याचारों से परेशान हैं, उन्हें अपने देश में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के बारे में भी उतना ही सोचना चाहिए.

‘अंतरात्मा तब भी परेशान होनी चाहिए जब हिंदुओं पर हमले होते हैं’

तसलीमा ने आगे कहा, “मैं कहना चाहती हूं, अगर बांग्लादेश के लोग फिलिस्तीन में हमलों और शरणार्थियों के बारे में इतने चिंतित हैं तो उनकी अंतरात्मा तब भी परेशान होनी चाहिए जब बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले होते हैं. लोगों को घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है”.

यह भी पढ़िए: इजरायल के खिलाफ हमास के लिए जंग में उतरने को तैयार हो रहे पाकिस्‍तानी, प्रमुख मौलाना रहमान ने इस्लामी देशों से मांगा रास्ता

कट्टरपंथियों से बचकर बांग्लादेश से भागना पड़ा था

बता दें कि तसलीमा नसरीन एक समय में अपनी लेखनी की वजह से सुर्खियों में आई थीं, उन्‍होंने मुल्‍ले-मौलवियों की करतूतों को उजागर किया था..जिसके बाद उन्‍हें बांग्‍लादेश में धमकियां मिलने लगीं. वो जान बचाने के लिए बांग्‍लादेश से चली गईं. उन्‍होंने बताया था कि बचपन में एक परिचित ने ही उनका शोषण किया था. स्त्री के स्वाभिमान और अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए तसलीमा नसरीन ने बहुत कुछ खोया. अपना भरापूर परिवार, दाम्पत्य, नौकरी सब दांव पर लगा दिया. उसकी पराकाष्ठा थी- देश निकाला.

— भारत एक्सप्रेस

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