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मारी गई हमास की इकलौती महिला लीडर अल-शांति, गाजा पर लगातार बम बरसा रहा इजरायल

हमास के हमले और इजरायल की जवाबी कार्रवाई में अबतक 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 3500 लोग तो सिर्फ गाजा में मारे गए हैं.

Israel Hamas War

Israel Hamas War

Israel Hamas War:  इजरायली बम गाजा पट्टी पर कहर बन कर गिर रहे हैं. हमास के हमले के बाद इजरायल गाजा पट्टी को श्मशान बना देना चाहता है. हमास के आतंकियों को चुन-चुनकर ढेर किया जा रहा है. इजरायली टैंकों का रुख गाजा की ओर है. इस बीच खबर आई है कि इजरायली सेना ने हमास की इकलौती महिला लीडर को मार गिराया है. जमीला अल-शांति नाम की यह महिला हमास के सह-संस्थापक अब्देल अजीज अल-रंतीसी की विधवा बताई जा रही है.

अब तक 5000 लोगों की मौत

दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के इजरायल दौरे के बाद रूस ने गाजा को मदद करनी शुरू कर दी है. हमास के हमले और इजरायल की जवाबी कार्रवाई में अब तक 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 3500 लोग तो सिर्फ गाजा में मारे गए हैं. मंगलवार शाम को गाजा के एक अस्पताल में हुए विस्फोट में कम से कम 500 लोगों की मौत हुई थी. बता दें कि इजरायली सेना ने जिस अल-शांति को मारने का दावा किया है वो 2021 में हमास की राजनीतिक ब्यूरो के सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था के लिए चुनी गई पहली महिला बनी थी. 2004 में अल शांति के पति और हमास के सह संस्थापक रंतीसी की इजरायली हमले में मौत हुई थी.

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डोर-टू-डोर ऑपरेशन को अंजाम दे रहा है इजरायल

बता दें कि इजरायल गाजा पर लगातार बम बरसा रहा है. निर्दोष नागरिकों को उत्तर से दक्षिण की ओर जाने के लिए पहले ही विंडो दे दिया गया था. काफी हद तक लोगों ने गाजा के उत्तरी इलाके से दक्षिण की ओर शिफ्ट हो गए हैं. इजरायल अब डोर-टू-डोर ऑपरेशन को अंजाम दे रहा है. उधर हमास इजरायल युद्ध में अमेरिका की एंट्री से रूस बौखला गया है. अब पुतिन ने मिस्र के रास्ते गाजा को मदद करनी शुरू कर दी है. रूस ने पहली खेप में 27 टन मानवीय सहायता भेजा है.

बताते चलें कि पश्चिम एशिया में इजरायल और हमास के बीच छिड़ी जंग को 12 दिन बीत चुके हैं. भीषण युद्ध में दोनों पक्षों को अब तक काफी नुकसान हुआ है. अमेरिका, ब्रिटेन-फ्रांस समेत कई पश्चिमी देश इजरायल की मदद कर रहे हैं, मुस्लिम देश फिलिस्‍तीन को समर्थन देने की वकालत कर रहे हैं. हालांक‍ि, कोई मुस्लिम देश बेघर हुए फिलिस्‍तीनियों को शरण देने के लिए आगे नहीं आया है. यहां तक कि पडोसी देश लेबनान ने तो साफ कह दिया है कि वे शरणार्थियों को अपने देश में नहीं आने देंगे. मिस्र का भी ऐसा ही कहना है.

-भारत एक्सप्रेस



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