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मेक्सिको में ढहा प्राचीन पिरामिड…जानें किसलिए किया जाता था इसका इस्तेमाल, स्थानीय जनजाति ने ‘प्राकृतिक आपदा’ की दी चेतावनी

इतिहासकारों का कहना है कि प्राचीन पुरेपेचा जनजाति ने अपने सबसे महत्वपूर्ण देवता कुरिकवेरी को मानव बलि देने के लिए याकाटा पिरामिड का इस्तेमाल किया था.

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फोटो-सोशल मीडिया

Mexico Ancient pyramids Collapsed: मेक्सिको में दो पिरामिड ढहने के बाद यहां का जनजाति द्वारा “आसन्न विनाश” की चेतावनी दी गई है. बता दें कि एक प्राचीन जनजाति द्वारा मानव बलि के लिए इसे इस्तेमाल किया जाता था. न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इसे बनाने वाले स्वदेशी जनजाति के वंशजों को डर है कि विनाशकारी तूफानों के कारण दो जुड़वां पिरामिडों में से एक के नष्ट हो जाने के बाद कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आने वाली है.

इसको लेकर इतिहासकारों का कहना है कि प्राचीन पुरेपेचा जनजाति ने अपने सबसे महत्वपूर्ण देवता कुरिकवेरी को मानव बलि देने के लिए याकाटा पिरामिड का इस्तेमाल किया था. याकाटा पिरामिड मिचोआकन राज्य के इहुआत्ज़ियो के पुरातात्विक स्थल में पाए जाते हैं. पिरामिड का निर्माण आधुनिक प्यूरपेचा लोगों के पूर्वजों द्वारा किया गया था, जो एक खूनी जनजाति थी जिसने एज़्टेक को हराया था. इसको लेकर एक फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें दिखाया गया है कि 30 जुलाई को भारी बारिश के बाद संरचना आंशिक रूप से ढह गई, जिसमें एक तरफ का हिस्सा बह गया.

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इसको लेकर तारियाकुइरी अल्वारेज़ ने कहा कि उनकी स्थानीय परंपराओं के अनुसार, यह तूफान आसन्न विनाश का संकेत हो सकता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि “हमारे पूर्वजों, अर्थात् निर्माणकर्ताओं के लिए यह एक बुरा शगुन था जो किसी महत्वपूर्ण घटना के निकट होने का संकेत देता था. अल्वारेज़ ने कहा कि विजेताओं के आगमन से पहले भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जो कि पुरेपेचा के लिए उस समय की विश्वदृष्टि थी, क्योंकि देवता नाना कुएरहेपिरी और केरी कुरिकवेरी नाराज थे.

बता दें कि बुधवार को इसको लेकर मैक्सिकन नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एंथ्रोपोलॉजी एंड हिस्ट्री (INAH) ने बुधवार एक बयान जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि “मंगलवार की रात, इहुआत्ज़ियो पुरातत्व क्षेत्र के पिरामिड आधारों में से एक के दक्षिणी अग्रभाग के मध्य भाग में ढहाव हुआ. यह घटना प्योरपेचा झील के बेसिन में भारी वर्षा के कारण हुई, जिसमें अपेक्षित औसत वर्षा से अधिक मात्रा में जल का संचय हुआ. इस क्षेत्र में पहले दर्ज किए गए उच्च तापमान और उसके परिणामस्वरूप सूखे के कारण दरारें पड़ गईं, जिससे प्री-हिस्पैनिक इमारत के अंदरूनी हिस्से में पानी के फिल्टरेशन में मदद मिली.

इतनी हुई क्षति

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 30 जुलाई की सुबह से ही, कर्मचारी क्षति का आंकलन करने के लिए विरासत स्थल पर पहुंच गए. उनके अवलोकनों से यह पुष्टि हुई कि तथाकथित दक्षिण बेस की कम से कम छह सीढ़ियों को क्षति पहुंची है, इसकी स्लैब की बाहरी दीवार के साथ-साथ इसके कोर और रिटेनिंग दीवार में भी क्षति आकलन गतिविधियां जारी हैं और इनका ध्यान न केवल प्रभावित हिस्से को पुनः प्राप्त करने पर है, बल्कि भवन की संरचना की पूरी तरह से मरम्मत करने पर भी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अतीत में किए गए कार्य, जिनमें ऐसी तकनीकों और सामग्रियों का उपयोग किया गया था, जो वर्तमान में अपने नकारात्मक प्रभावों के कारण उपयोग में नहीं हैं, का प्री-कोलंबियाई संरचना की संरक्षण स्थितियों पर प्रभाव पड़ा है. इसी के साथ ही रिपोर्ट में इसके जीर्णोद्धार और संरक्षण की भी बात कही गई है. तो वहीं इस पिरामिड के इतिहास को लेकर तारियाकुइरी अल्वारेज़ ने मीडिया को बताया कि पुरेपेचा ने एज़्टेक को हराया और 1519 में स्पेनिश आक्रमण से पहले 400 वर्षों तक शासन किया. इहुआत्ज़ियो पुरातात्विक क्षेत्र पर 900 ई. से पहले एज़्टेक और फिर स्पेनिश आक्रमणकारियों के आगमन तक प्यूरपेचा का कब्जा रहा.

-भारत एक्सप्रेस



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