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Muharram 2024: इस देश में खून बहाना, छाती पीटना बैन… मोहर्रम के लिए बनाए गए ये नए नियम

आदेश न मानने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी गई है.

Muharram

सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Muharram 2024: मुहर्रम के मौके पर इस्लामी शरिया के अनुसार शासन करने वाले अफगानिस्तान में तालिबान ने कड़े कानून लागू कर दिए हैं. इसी के साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान ने मोहर्रम पर होने वाले समारोह के लिए भी नए कानून बना डाले हैं.

इन कानूनों को बनाने के पहले उन्होंने पूरी योजना के साथ सिया विद्वानों की सहमति ली है. बता दें कि नए कानून के मुताबिक अब यहां पर मुहर्रम पर शोक मनाने वालों को समूहों को अब अपने आप को मारना और खून बहाना मना है और इस दौरान छाती पीटना भी बैन कर दिया गया है. तो वहीं जो लोग इस आदेश को नहीं मानते हैं तो उन पर कड़ी कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी गई है.

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जानें मोहर्रम पर क्या लागू किए गए हैं नए नियम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में सक्रिय तालिबान ने इस दौरान पूरी रणनीति के साथ एक बैठक बुलाई थी और बैठक के दौरान सिया विद्वानों के हस्ताक्षर भी सहमति पत्र पर ले लिए गए हैं, जिसमें उन्होंने तमाम शर्तों पर सहमति जताई है. अफगान तालिबान ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह इस्लामी सरिया के तहत कानून चलाते हैं. इस कानून के तहत किसी को भी उसका मजाक बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. जो इन शर्तों को नहीं मानेगा उस पर कड़े दंड प्रावधान लागू किए जाएंगे.

तालिबान के नए आदेश के अनुसार, शोक समारोह केवल मस्जिदों या अधिकारियों और सिया विद्वानों, दोनों, द्वारा निर्दिष्ट स्थान पर आयोजित किए जाने चाहिए.

शोक मनाने वालों को समूह में नहीं आने के लिए कहा गया है. शोक मनाने वालों को प्रवेश करने के बाद मस्जिद के दरवाजे बंद कर देने चाहिए. बंद दरवाजे के पीछे ही समारोह आयोजित करना चाहिए.

सिया आबादी वाले क्षेत्रों में शोक समारोह केवल शिया मस्जिदों में आयोजित किए जाने चाहिए और झंडा फहराने के समारोह विशिष्ट परिस्थितियों में ही आयोजित किए जाने चाहिए.

झंडों और पोस्ट पर राजनीतिक नारे अनुचित शब्द चित्र या दूसरे देशों की शर्तें लिखना मना किया गया है. जिस स्थान पर ये वितरित किए जाते हैं वे तयशुदा स्थल के अंदर होना चाहिए. सुन्नी नागरिकों को आमंत्रित नहीं किया जाएगा. समारोह के दौरान छाती पीटना वर्जित रहेगा.

समारोह के दौरान सस्वरपाठ विलाप और अन्य ऑडियो आइटम नहीं बजने चाहिए. झंडे केवल मस्जिदों के पास ही लगाए जाएं.

-भारत एक्सप्रेस



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