नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड
Kathmandu: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ ’प्रचंड’ ने काठमांडू आगमन पर भारत की अपनी चार दिवसीय यात्रा को सफल करार दिया. काठमांडू में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, पीएम ने कहा, “इस चार दिवसीय यात्रा का उद्देश्य मूल रूप से भारत में कदम रखने से पहले किए गए वादों को पूरा करना रहा. दीर्घकालिक महत्व के कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जो अपने आप में महत्वपूर्ण हैं. दीर्घकालिक बिजली-साझाकरण समझौते के संबंध में, 10 वर्षों में 10,000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति एक ऐसी चीज है जिस पर हमने लंबे समय से दबाव डाला है, मुझे खुशी है कि मेरी यात्रा के दौरान हम एक समझौते पर पहुंच सके. प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने स्वयं घोषणा की और शक्ति-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर करना हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.” उन्होंने आगे कहा कि, “इस समझौते से नेपाल को ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा निवेश करने में मदद मिलेगी.” नेपाली पीएम ने इस समझौते के आलोक में देश के ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश की संभावना पर भी जोर दिया.
दोनों देशों के बीच अविश्वास खत्म करने का दावा
ब्रीफिंग के दौरान, नेपाल के पीएम प्रचंड ने चल रही परियोजनाओं का भी हवाला दिया, जैसे कि 900 मेगावाट अरुण III को संखुवासभा में भारत की कंपनी सतलुज द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है , साथ ही लोअर अरुण परियोजना, भी उसी कंपनी को सौंपा गया है. प्रचंड ने बिजली व्यापार समझौते के माध्यम से स्थापित नए ट्रस्ट और फाउंडेशन को रेखांकित किया, यह कहते हुए कि यह हिमालयी देश को निजी क्षेत्र की मांगों को पूरा करने में सक्षम करेगा. उन्होंने कहा कि इस समझौते ने नेपाल को ऊपरी तमाकोशी जलविद्युत परियोजना से उत्पन्न 1,200 मेगावाट बिजली भारत को निर्यात करने में सक्षम बनाया है. इसके अलावा, नेपाली पीएम ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में अविश्वास को खत्म करने का भी दावा किया. उन्होंने यहां तक कहा कि अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने जिन कार्यक्रमों में शिरकत की वे हिट रहे. अब हमें अपने संबंधों को सुपरहिट बनाने की दिशा में काम करना चाहिए.
इसे भी पढ़ें: भारत, नेपाल बिजली क्षेत्र में सहयोग में प्रगति से संतुष्ट: विदेश मंत्रालय
भारत और नेपाल के बीच बिजली क्षेत्र में मजबूत सहयोग है. हाल ही में भारत की सहायता से तीन क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइनें पूरी की गईं – 400 केवी मुजफ्फरपुर-ढलकेबार लाइन (2016); 132 केवी कटैया-कुसहा और रक्सौल-परवानीपुर लाइन (2017).