भारत के लिए क्यों अहम है पापुआ न्यू गिनी, भारत की भागीदारी में महत्वपूर्ण मोड़
New Delhi : ग्लोबल ऑर्डर के अनुसार, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पापुआ न्यू गिनी की यात्रा प्रशांत द्वीप समूह के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी में एक महत्वपूर्ण मोड़ है. पीएम मोदी का दौरा कई मायनों में अहम है. ऐतिहासिक रूप से यह किसी भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा द्वीप पर और रणनीतिक रूप से पहली यात्रा का प्रतीक है. यह ग्लोबल ऑर्डर के अनुसार, इंडो-पैसिफिक के संदर्भ में भारत की सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय साझेदारी में से एक की नींव रखता है. प्रशांत द्वीप राष्ट्रों के साथ अधिक से अधिक जुड़ाव में भारत की रुचि एक भू-राजनीतिक इकाई के रूप में भारत-प्रशांत की अवधारणा में निहित है
हिंद-प्रशांत में बढ़ी भारत की चिंता
पीएम मोदी की पापुआ न्यू गिनी की इस यात्रा को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक कूटनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है. पापुआ न्यू गिनी में चीन के बढ़ते प्रभाव का खामियाजा पूरे हिंद-प्रशांत में देखने को मिल सकता है और इस क्षेत्र में सुरक्षा के लिए घातक साबित हो सकता है
क्वाड देशों को क्यों खटकता है चीन
दूसरी अहम बात ये है कि चीन लंबे समय से मुक्त व्यापार का विरोधी है. साउथ चाइना में वह मुक्त व्यापार की खिलाफत करता रहा है. ऐसे में ये भी अंदेश है कि अगर चीन हिंद-प्रशांत सागर में पापुआ न्यू गिनी के जरिए मजबूत होता है. तो वह समुद्र के जरिए होने व्यापार पर पाबंदी लगा सकता है. और तब क्वाड देश और चीन एक-दूसरे के सामने आ सकते हैं. इसे बचने के लिए सभी क्वाड देश चाहते हैं कि चीन हिंद-प्रशांत में मजबूत ना हो.
क्या चीन की तरफ झुकाव है : पापुआ न्यू गिनी
पापुआ न्यू गिनी के करीब सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौता किया था, जिसके बाद चीन ने राजधानी होनियारा में बंदरगाह बनाने का एक अनुबंध हासिल किया. चीन के इस कदम को देखते हुए पापुआ न्यू गिनी बीजिंग की ओर झुकाव दिखा रहा था, जो क्वाड समूह के देश भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक बहुत बड़ी चिंता है. पुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने साल 2022 में बैंकॉक में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की थी, जिसके बाद बीजिंग ने कहा था कि चीन और पापुआ न्यू गिनी दोनों एक अच्छे दोस्त हैं.
-भारत एक्सप्रेस