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रामचरितमानस के साथ ही भारत की ये कालजयी रचनाएं बनी विश्व धरोहर, UNESCO ने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रजिस्टर में किया शामिल

मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर मानवता की दस्तावेजी विरासत की सुरक्षा के लिए 1992 में यूनेस्को द्वारा शुरू किया गया था.

Ramcharitmanas Panchatantra Sahridayalok Lokan included in UNESCO Memory of World Asia Pacific register

फोटो-सोशल मीडिया

UNESCO Memory of World Asia Pacific Register: यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में रामचरितमानस के साथ ही पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को शामिल किया गया है. 7 और 8 मई को मंगोलिया की राजधानी उलानबटार में मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक की 10वीं आम बैठक में ये फैसला लिया गया. इस तरह से भारत की ये कालजयी रचनाएं अब विश्व धरोहर बन गई हैं. इसका 38 देशों ने समर्थन किया है.

सहृदयलोक-लोकन, पंचतंत्र और रामचरितमानस क्रमश आचार्य आनंदवर्धन पंडित, विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखे गए.

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये बताया है कि रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में शामिल किया गया है. यह समावेशन भारत के लिए गौरव का क्षण है, देश की समृद्ध साहित्यिक विरासत और सांस्कृतिक विरासत की पुष्टि है.

आगे कहा गया, यह वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण प्रयासों में एक कदम आगे बढ़ने का प्रतीक है, जो हमारी साझा मानवता को आकार देने वाली विविध कथाओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों को पहचानने और सुरक्षित रखने के महत्व पर प्रकाश डालता है. इन साहित्यिक उत्कृष्ट कृतियों का सम्मान करके समाज न केवल उनके रचनाकारों की रचनात्मक प्रतिभा को श्रद्धांजलि देता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उनका गहन ज्ञान और कालातीत शिक्षाएं भावी पीढ़ियों को प्रेरित और प्रबुद्ध करती रहें.

Ramcharitmanas Panchatantra Sahridayalok Lokan included in UNESCO Memory of World Asia Pacific register

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तीनों प्रविष्टियों को सफलतापूर्वक किया गया प्रस्तुत

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में कला निधि प्रभाग के डीन (प्रशासन) और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ ने भारत से तीन प्रविष्टियों को सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया. मंत्रालय ने कहा, गौर ने सम्मेलन में नामांकन का प्रभावी ढंग से बचाव किया. इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह पाठकों और कलाकारों पर छाप छोड़ी है. तीनों कार्यों को यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में शामिल किया. ये उपलब्धि सदस्य-राज्य प्रतिनिधियों द्वारा कठोर विचार-विमर्श और मतदान के बाद भारत को हासिल हुई है.

यूनेस्को मेमोरी रजिस्टर

मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर मानवता की दस्तावेजी विरासत की सुरक्षा के लिए 1992 में यूनेस्को द्वारा शुरू किया गया था. इसे अंतरराष्ट्रीय पहल का हिस्सा माना जाता है. इसके तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रम का लक्ष्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक मूल्य की दस्तावेजी सामग्रियों को संरक्षित करना और उन तक पहुंच सुनिश्चित करना है. इसके तहत मुद्रित पुस्तकें, पांडुलिपियां, फिल्में, अभिलेखीय दस्तावेज, ऑडियो और फोटोग्राफिक रिकॉर्ड शामिल किए जाते हैं.

-भारत एक्सप्रेस



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