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इलेक्ट्रिक कारों के मामले में टेस्ला दुनिया में सबसे आगे है. टेस्ला अब भारत भी आना चाहती है. इसके लिए टेस्ला ने निवेश करने की इच्छा जताई है. लेकिन टेस्ला के मालिक एलोन मस्क ने भारत में निवेश के बदले विशेष रियायतें मांगी हैं. इससे पहले टेस्ला आयातित कारों को भारत में बेचना चाहती थी ताकि उसे बाजार की मांग का अंदाजा हो सके. लेकिन यह संभव नहीं हो सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में आयात शुल्क 60 से 100 फीसदी है. इस आयात शुल्क के साथ आयातित कारों को बेचने का मतलब होता कि कारों की कीमत बहुत अधिक होती.
इसे लेकर टेस्ला ने काफी कम टैरिफ की भी मांग की थी. लेकिन सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया. इस बात से एलन मस्क हैरान रह गए. एलोन मस्क एक शानदार इनोवेटर हैं. भारत को भी उनका स्वागत करना चाहिए. Apple के बाद, वह चीन से भारत में उत्पादन में विविधता लाने वाले एक अन्य वैश्विक दिग्गज का प्रतिनिधित्व करेंगे. लेकिन एलोन मस्क को प्रतिद्वंद्वियों के साथ समान स्तर पर मुकाबला करना चाहिए. भारत को टेस्ला के निवेश का स्वागत करना चाहिए, लेकिन एलन मस्क को कोई विशेष प्रोत्साहन नहीं मिलना चाहिए.
चीन का BYD दुनिया में ई-ऑटो का सबसे बड़ा उत्पादक है. यह भारत में ई-कारों को असेंबल करता है और अब उनका निर्माण भी करने की योजना बना रहा है. ऐसे में मस्क की टेस्ला को BYD से ज्यादा रियायत की क्या जरूरत है? क्या मस्क भारत के इलेक्ट्रिक कार बाजार को हल्के में ले रहे हैं? टेस्ला अब रियायती आयात शुल्क नहीं मांग रही है, लेकिन कंपनी अब इलेक्ट्रिक कारों और बैटरी के उत्पादन के लिए विशेष प्रोत्साहन चाहती है. ये बैटरियां न केवल कैप्टिव उपयोग के लिए होंगी बल्कि बिक्री के लिए भी होंगी. इसे इस तरह से डिजाइन किया जा सकता है कि यह सोलर और विंड एनर्जी को स्टोर कर सके.
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इस तरह के निवेश का स्वागत है. लेकिन, पहले से ही भारत में ई-ऑटो और बैटरी बनाने वालों को कई तरह की रियायतें मिलती हैं. इनमें शामिल हैं – टैक्स ब्रेक, रियायती जीएसटी दर, टैरिफ सुरक्षा और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव. टेस्ला को भी वही रियायतें मिलनी चाहिए जो वे दूसरों को दे रहे हैं.
दरअसल भारत को टेस्ला की उतनी जरूरत नहीं है, जितनी टेस्ला को भारत की है. टेस्ला लग्जरी ई-कार बनाती है. लेकिन भारत में इसकी सबसे सस्ती कार की कीमत भी करीब 30 से 35 लाख रुपये होगी. ऐसे में बाजार के बड़े हिस्से में खरीदारी तो दूर की बात होगी. बाजार का ऊपरी भाग टेस्ला को मर्सिडीज बेंज आदि प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करना होगा. यही वजह है कि भारत का काम अभी टेस्ला के बिना भी सुचारू रूप से चल सकता है. लेकिन टेस्ला लगभग 140 करोड़ की आबादी वाले देश और जहां लोग तेजी से अमीर हो रहे हैं, को नजरअंदाज नहीं कर सकते. इसे सिर्फ भारत में खुद को स्थापित करने की जरूरत है. टेस्ला बहुत लंबा इंतजार करने की गलती नहीं कर सकता, केवल बाद में पता चला कि वह बाजार के दिग्गजों को हरा नहीं पाएगा.
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