परवेज मुशर्रफ. (फोटो: IANS)
अधिकारियों ने शुक्रवार (6 सितंबर) को बताया कि शत्रु संपत्ति (Enemy Property) के रूप में वर्गीकृत और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) से जुड़ी दो हेक्टेयर जमीन 1.38 करोड़ रुपये में नीलाम कर दी गई है. यह संपत्ति बागपत (Baghpat) की बड़ौत तहसील के कोटाना गांव में स्थित है और इसे 2010 में शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था.
शत्रु संपत्ति का वर्गीकरण भारत में पाकिस्तानी नागरिकों के स्वामित्व वाली संपत्तियों से संबंधित है, जिनका प्रबंधन शत्रु संपत्ति संरक्षक द्वारा किया जाता है, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत एक विभाग है.
1999 में देश में तख्तापलट के बाद सत्ता हथियाने वाले पाकिस्तान के पूर्व सैन्य प्रमुख मुशर्रफ का 2023 में निधन हो जाएगा. उनका जन्म विभाजन-पूर्व भारत में दिल्ली में हुआ था.
मुशर्रफ के चाचा रहते थे
बड़ौत के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट अमर वर्मा ने पुष्टि की कि मुशर्रफ के दादा कोटाना में रहते थे. उन्होंने कहा, ‘जहां तक पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का सवाल है, उनका जन्म दिल्ली में हुआ था. वे यहां कभी नहीं आए. इन लोगों की यहां संयुक्त जमीन है.’
वर्मा ने कहा, ‘पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन और मां जरीन बेगम कभी गांव में नहीं रहे, लेकिन उनके चाचा हुमायूं लंबे समय तक यहां रहे.’
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गृह मंत्रालय को जाएगा पैसा
उन्होंने बताया कि गांव में एक घर भी है, जहां आजादी से पहले हुमायूं रहा करते थे. 2010 में इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था और गुरुवार (5 सितंबर) रात 10:30 बजे इसकी नीलामी पूरी हो गई.
बागपत प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नीलामी की गई जमीन की शुरुआती कीमत 39.06 लाख रुपये थी, जिसकी कीमत 1.38 करोड़ रुपये से अधिक हो गई और बिक्री से प्राप्त राशि गृह मंत्रालय के खाते में जमा कराई जाएगी.
नुरू और परवेज मुशर्रफ
बागपत के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) पंकज वर्मा ने बताया, ‘हमारे राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन ‘नुरू’ नाम से दर्ज है. इस नुरू और परवेज मुशर्रफ के बीच कोई दस्तावेजी संबंध नहीं है. रिकॉर्ड से केवल इतना पता चलता है कि नुरू एक निवासी था, जो 1965 में पाकिस्तान चला गया था.’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया है और इसकी नीलामी स्थापित नियमों के अनुसार की गई है. एडीएम ने यह भी कहा कि बड़ौत तहसील से करीब आठ किलोमीटर दूर कोटाना गांव में स्थित यह जमीन आवासीय श्रेणी में नहीं आती है.
-भारत एक्सप्रेस
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