राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के खिलाफ एक प्राइवेट आर्मी वैगनर ने तख्तापलट का ऐलान कर दिया है. इस आर्मी के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने दावा किया है कि उसकी सेना मास्को की तरफ बढ़ रही है. जल्द ही मास्को पर कब्जा कर लिया जाएगा. इसके अलावा प्रिगोझिन का ये भी कहना है कि कई मोर्चे पर रूस को घेर लिया है और उसके लड़ाके मरने के लिए तैयार हैं. वेगनर आर्मी ने रोस्तोव शहर पर कब्जा करने का दावा किया है. बताया जा रहा है कि येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के सबसे करीबियों में से एक था. इसकी आर्मी ने यूक्रेन में रूस की तरफ से युद्ध में भी शामिल हुई थी, लेकिन अब इसने पुतिन के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है.
कौन है येवगेनी प्रिगोझिन ?
अब सवाल ये उठता है कि आखिर पुतिन से सीधा टकराने वाला वेगनर आर्मी का मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन कौन है ? जिसने दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में शामिल रूस के राष्ट्रपति के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया है. तो आइए जानते हैं कि प्रिगोझिन और क्यों कर रहा है पुतिन के खिलाफ बगावत.
1990 में जेल से हुआ था रिहा
दरअसल, प्रिगोझिन का जन्म 1961 में लेनिनग्राद में हुआ था. बचपन में ही उसके पिता की मौत हो गई थी. शुरुआत में प्रिगोझिन एथलीट बनना चाहता था, जिसके लिए उसने खेल अकादमी में एडमिशन लिया, लेकिन एथलीट में जगह न मिलने के चलते धीरे-धीरे वो अपराध की दुनिया की तरफ बढ़ने लगा. चोरी-लूट के छोटे-मोटे मामलों में जेल गया. डकैती के एक आरोप में प्रिगोझिन 13 साल जेल में रहा. जिसे 1990 में जेल से रिहा कर दिया गया.
प्रिगोझिन की ऐसे हुई पुतिन से दोस्ती…
प्रिगोझिन जब जेल से बाहर आया तो उसने एक रेस्टोरेंट शुरू किया. जहां पर अक्सर तत्कालीन डिप्टी मेयर पुतिन भी आया करते थे. रेस्टोरेंट में तमाम बिजनेसमैन और नेता भी आते थे. रेस्टोरेंट में पुतिन से प्रिगोझिन की मुलाकात हुई. इस मुलाकात के बाद दोनों के बीच दोस्ती बढ़ गई और सरकारी मेहमानों के लिए खाने का कॉन्ट्रैक्ट प्रिगोझिन को मिल गया.
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माना जाता है कि 2014 में, प्रिगोझिन ने वैगनर ग्रुप की स्थापना की थी, जो एक प्राइवेट आर्मी है. प्रिगोझिन की वैगनर आर्मी सीरिया, लीबिया और यूक्रेन में चल रहे युद्धों में भी शामिल रही है. वैगनर समूह पर यातना और संक्षिप्त निष्पादन सहित मानवाधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है. प्रिगोझिन को इंटरनेट रिसर्च एजेंसी (आईआरए) के पीछे भी माना जाता है, जो एक ट्रोल फ़ार्म है जिस पर 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया था. IRA ने ट्रंप के समर्थन में प्रचार फैलाने और अमेरिकी मतदाताओं के बीच कलह पैदा करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया था.
-भारत एक्सप्रेस
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