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China के अमीरों में बढ़ा Pakistani गधों का क्रेज, वजह जानकर आप पीट लेंगे माथा

पाकिस्तान के ग्वादर में चीन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए गधों के लिए पहला बूचड़खाना स्थापित किया गया है, जहां उनके मांस, खाल और हड्डियों को प्रोसेस कर निर्यात किया जाएगा. हालांकि, बलूचिस्तान के स्थानीय लोग इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं.

Pakistan

पाकिस्तान (Pakistan) के ग्वादर में गधों के लिए देश का पहला खास बूचड़खाना बनाया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य चीन में बढ़ती मांग को पूरा करना है, जहां पाकिस्तानी नस्ल के गधों की काफी जरूरत है. इस बूचड़खाने में गधों के मांस, खाल और हड्डियों को प्रोसेस कर चीन को एक्सपोर्ट किया जाएगा. हालांकि बलूचिस्तान के स्थानीय लोग इस चीज का कड़ा विरोध कर रहे हैं.

पाकिस्तान में हाल ही में लगभग 59 लाख गधे हैं, जिनमें से ज्यादातर बलूचिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्रों में पाए जाते हैं. चीन की जलवायु परिस्थितियों के कारण वहां पाकिस्तानी नस्ल के गधे नहीं होते, इसलिए वहां इनकी मांग अधिक है. चीन में गधे के मांस की खपत काफी ज्यादा है और उनकी खाल और हड्डियों का उपयोग ई-जियाओ समेत विभिन्न उत्पादों के बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. इस बूचड़खाने का ठेका भी एक चीनी कंपनी को दिया गया हैऔर पाकिस्तानी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि दोनों देशों के बीच इस संबंध में एक समझौता हो चुका है.

ई-जियाओ क्या है

अब लोगों के मन में सवाल उठ रहा है आखिर ये ई-जियाओ क्या है? तो आपको बता दें ई-जियाओ, गधों की खाल से निकाले गए कोलेजन से तैयार किया जाने वाला एक उत्पाद है, जो कि खाद्य और ब्यूटी प्रोडक्ट्स के लिए घटक माना जाता है. चीन में इसे खून को शुद्ध करने साथ ही इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार करता है और बीमारियों को रोकता है. 1644 से 1912 तक शासन करने वाले किंग राजवंश के दौरान, यह अमीर वर्ग के बीच काफी लोकप्रिय था.

चीन के अमीर लोग इसे क्यों पसंद कर रहे हैं?

हाल के वर्षों में ई-जियाओ की मांग तेजी से बढ़ी है, जिससे यह एक लग्जरी उत्पाद बन गया है. इसे आमतौर पर एंटी-एजिंग उत्पाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस बढ़ती लोकप्रियता के पीछे 2011 में प्रसारित हुए चीनी टीवी सीरियल ‘Empress in the Palace’ की अहम भूमिका मानी जाती है, जिसमें इसका उल्लेख किया गया था. साथ ही, चीन के मध्यम वर्ग और बुजुर्ग आबादी में वृद्धि भी इसकी मांग बढ़ाने का एक बड़ा कारण है. सरकारी मीडिया के अनुसार, बीते दशक में इसकी कीमत में 30 गुना तक बढ़ी है, जो 100 युआन प्रति 500 ग्राम से बढ़कर 2,986 युआन (लगभग 36,741 रुपये) हो गई है.

ई-जियाओ उद्योग को हर साल लगभग 59 लाख गधों की खाल की आवश्यकता होती है, जिससे वैश्विक गधा आबादी पर भारी दबाव पड़ा है. ब्रिटिश चैरिटी संगठन ‘द डोंकी सैंक्चुरी’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वजह से कई देशों में गधों की संख्या तेजी से घट रही है. चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक, उत्तरी शांदोंग प्रांत में ई-जियाओ उत्पादन का 3,000 साल पुराना इतिहास है और वर्तमान में चीन के कुल उत्पादन में इस प्रांत की हिस्सेदारी लगभग 90% है.

चीन में गधों की संख्या में भारी गिरावट

एक समय चीन में करोड़ों गधे थे, लेकिन 1992 में 1.1 करोड़ की संख्या से गिरकर अब केवल 20 लाख रह गए हैं, जो 80% की भारी गिरावट दर्शाता है. इस वजह से चीन को अब अन्य देशों से गधों की खाल आयात करनी पड़ रही है. हाल के वर्षों में चीन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान से गधों की खाल का आयात बढ़ा दिया है. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में साउथ एशिया रिसर्च सेंटर के निदेशक मुहम्मद ए. कावेश के अनुसार, पाकिस्तान से चीन को भेजी जाने वाली अधिकांश गधों की खाल का व्यापार गुप्त रूप से किया जाता है.

चीन की बढ़ती मांग कैसे पूरी होगी?

विशेषज्ञों का कहना है कि सूअरों और गायों की तुलना में गधों की प्रजनन दर काफी धीमी होती है. मादा गधा (जेनी) आमतौर पर 11 से 14.5 महीने तक गर्भधारण करती है और आमतौर पर केवल एक ही बच्चे को जन्म देती है. रिपोर्ट्स के अनुसार, ई-जियाओ के लिए हर साल आवश्यक 59 लाख गधों की खाल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थित कृषि प्रणाली विकसित करनी होगी, जिसमें दो दशक से अधिक का समय लग सकता है.

स्थानीय लोग बूचड़खाने पर क्यों कर रहे विरोध

ग्वादर में गधों के लिए बनाए गए बूचड़खाने का बलूचिस्तान में कड़ा विरोध हो रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि गधों को मारकर उनके मांस और खाल का निर्यात करने के बजाय, यदि आवश्यक हो, तो सीधे जीवित जानवरों का निर्यात किया जाना चाहिए.

वहीं, पाकिस्तान सरकार का तर्क है कि अब गधों का पारंपरिक रूप से सामान ढोने के लिए उपयोग नहीं किया जाता, क्योंकि वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण उनकी जरूरत कम हो गई है. प्रशासन का कहना है कि जिंदा गधों का निर्यात संभव नहीं है, इसी कारण बूचड़खाने की स्थापना की गई है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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