पेजर की खासियत है कि ये बिना मोबाइल नेटवर्क के भी काम करता है. इसलिए खराब मौसम और रिमोट एरिया में कम्युनिकेशन के तौर पर पेजर का इस्तेमाल किया जाता है.
Lebanon Pager explosion : पश्चिमी एशिया में इजरायल-फिलिस्तीन के पड़ोसी मुल्क लेबनान में हुए सिलसिलेवार ब्लास्ट से कोहराम मच गया. वहां बीते रोज (17 सितंबर को) कई शहरों में घरों, सड़कों और बाजारों में लोगों की जेब और हाथ में रखे पेजर अचानक फटने लगे. ये सिलसिलेवार ब्लास्ट 1 घंटे तक होते रहे. इन विस्फोटों में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 3000 हजार से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं.
इन धमाकों से दुनियाभर के लोग हैरत में हैं. बहुत-से लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि पेजर क्या होता है? और मोबाइल के जमाने में हिज्बुल्लाह आखिर क्यों पेजर का इस्तेमाल कर रहा है?
अरबियन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- लेबनान में हुए पेजर ब्लास्ट के पीछे इजरायल का हाथ था. ईरानी अधिकारियों और हिजबुल्लाह की ओर से इजरायल पर ब्लास्ट कराने का आरोप लगाया गया है. लेबनान के न्यूज चैनल पर खबर दिखाई जा रही हैं कि जिन ब्लास्ट में हजारों लोग घायल हुए हैं, वे हिजबुल्लाह को निशाना बनाते हुए किए गए सीरियल पेजर ब्लास्ट थे, हालांकि उन ब्लास्ट में आम लोग भी हताहत हुए हैं. उनमें ईरानी राजदूत भी घायल हुए हैं. एक बालिका की भी मौत हुई है.
पेजर ब्लास्ट का मामला समझने से पहले आपको ‘पेजर’ के बारे में जानना होगा. ये पेजर आखिर है क्या, मोबाइल के दौर में हिजबुल्लाह इनका इस्तेमाल क्यों करता है और इनमें विस्फोट कैसे हुआ?
पेजर एक वायरलेस डिवाइस होता है, जिसे बीपर के नाम से भी जानते हैं. पेजर का इस्तेमाल पहली बार 1950 में न्यूयॉर्क सिटी में हुआ. तब 40 किलोमीटर की रेंज में इसके जरिए मैसेज भेजना संभव था. 1980 के दशक में इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में होने लगा. हालांकि, जब से मोबाइल आए, तब से इनका इस्तेमाल कम होने लगा. और, अब भारत में तो बहुत ही कम लोग ‘पेजर’ के बारे में जानते होंगे.
इसलिए किया जाता है ‘पेजर’ का इस्तेमाल
‘पेजर’ का इस्तेमाल दो तरह से मैसेज भेजने के लिए होता है- 1. वॉयस मैसेज, और 2. अल्फान्यूमेरिक मैसेज. खबरें आ रही हैं कि लेबनान में जो पेजर ब्लास्ट हुए हैं वो अल्फान्यूमेरिक हैं.
पेजर की स्क्रीन आमतौर पर छोटी होती है, जिसमें लिमिटेड कीपैड होते हैं. बताया जाता है कि हिज्बुल्लाह ने अपने सदस्यों के लिए बल्क में पेजर ऑर्डर किए थे. हिज्बुल्लाह के लड़ाके अपनी जेबों या वेस्ट बैग में पेजर रखते हैं. जैसे हमें अपनी पॉकेट में फोन रखने की आदत है. रिपोर्ट के मुताबिक, ये पेजर अचानक गर्म होने लगे. देखते ही देखते इनमें ब्लास्ट हो गया.
इजरायल की ‘Unit 8200’ और मोसाद का कारनामा
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने लेबनान के सीनियर सिक्योरिटी सोर्स के हवाले से दावा किया है कि इजरायल की ‘Unit 8200’ ने हजारों पेजरों में एक साथ ब्लास्ट कराने के लिए एक सीक्रेट ऑपरेशन किया था, जिसमें मोसाद एजेंट्स के जरिए हर पेजर डिवाइस में 3-4 ग्राम आरडीएक्स एंटर किया गया था, जो एक खास कोड से एक्टिवेट होना था. जिस दिन डिवाइस पर मोसाद का प्रायोजित संदेश आया, उसे ‘कैंसिल’ करने पर पेजर में ब्लास्ट हो गया.
हिजबुल्लाह क्या है? इसे इजरायल क्यों खत्म करना चाहता है?
हिज़्बुल्लाह लेबनान का एक शिया राजनीतिक और अर्द्धसैनिक संगठन है. इजरायल और कई पश्चिमी देशों में ‘हिज़्बुल्लाह’ को आतंकी संगठन माना जाता है. वर्ष 1982 में इजरायल ने जब दक्षिणी लेबनान पर आक्रमण किया था, तब हिज़्बुल्लाह अस्तित्व में आया था. इस संगठन को ईरान और सीरिया का समर्थन प्राप्त था. पिछले साल जब फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमले किए तो हिज़्बुल्लाह ने भी जंग में हमास का साथ दिया. इसलिए, इजरायल हिज़्बुल्लाह को मिटाना चाहता है.
ये है वजह, हिज़्बुल्लाह के लड़ाके आज भी कर रहे पेजर का यूज
हिज़्बुल्लाह के अगुआ ये जानते हैं कि मोबाइल, स्मार्टफोन या इंटरनेट की सर्विस का इस्तेमाल करने पर वे ट्रेस किए जा सकते हैं या उनका पता लगाकर उन्हें मारा जा सकता है, ऐसे में वे नए दौर में भी पुराने दौर के डिवाइस ‘पेजर’ का इस्तेमाल करते हैं. ‘पेजर’ में न GPS होता है और न ही इसका IP एड्रेस होता है, जिससे इसे मोबाइल फोन की तरह ट्रेस किया जाए. ‘पेजर’ का नंबर बदला जा सकता है, इसकी वजह से ‘पेजर’ का पता लगाना आसान नहीं होता. यह बातचीत का एक सिक्योर मीडियम होता है, जिसे आसानी से कोई सुरक्षा एजेंसी ट्रेस नहीं कर सकती है. हालांकि, लेबनान में अब जो ‘पेजर’ ब्लास्ट हुए हैं..उससे दुनिया ये मान गई है कि इजरायल ‘पेजर’ हैकिंग के जरिए भी हिज़्बुल्लाह को टारगेट कर सकता है.
— भारत एक्सप्रेस