एनसीपी में बगावत
महाराष्ट्र में अजित पवार और शरद पवार के बीच का सियासी ड्रामा जोरों से चल रहा है. एनसीपी पर कब्जे को लेकर दोनों गुट दावा कर रहे हैं. इसी बीच अजित पवार के साथ गए नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि एनसीपी टूटी नहीं है. उन्होंने कहा कि शरद पवार की तरफ से दिल्ली में बुलाई गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आधिकारिक नहीं थी. वहीं ये भी कहा कि 30 जून को विधायकों और पार्टी की संगठनात्मक इकाइयों ने अजित पवार को पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया है. जिसमें 40 से अधिक विधायकों के हलफनामे के साथ एक अर्जी भारत निर्वाचन आयोग को सौंपी गई है. जिसमें अजित पवार के अध्यक्ष चुने जाने की जानकारी दी गई है.
अजित पवार को सर्वसम्मति से अध्यक्ष नियुक्त किया गया
प्रफुल्ल पटेल ने कहा, हमारा संगठनात्मक ढांचा गड़बड़ है, क्योंकि ज्यादातर पदाधिकारियों को कुछ लोगों ने नियुक्त किया है, राकांपा के संविधान के खिलाफ है. इस तरह के निर्णय वर्किंग कमेटी नहीं ले सकती है. प्रफुल्ल पटेल ने आगे कहा कि 30 जून को अजित पवार के आधिकारिक आवास देवगिरी पर एक बैठक बुलाई गई थी. जिसमें पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए थे. उन्होंने सर्वसम्मति से अजित पवार को अध्यक्ष घोषित किया था. अध्यक्ष पर नियुक्त होते ही अजित पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को इसकी पूरी सूचना दी थी.
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नेताओं को अयोग्य ठहराने का फैसला गलत
पटेल ने बताया कि अजित पवार एनसीपी विधायक दल के नेता नियुक्त किए जाने के अलावा अनिल पटेल विधानसभा में पार्टी के सचेतक के रूप में बने रहेंगे. इसकी भी जानकारी विधान परिषद सभापति को दी जा चुकी है कि अमोल मिटकरी परिषद में सचेतक नियुक्त किए गए हैं. वहीं पार्टी पर किसका अधिकार होगा ये तय करना भारत निर्वाचन का काम है. इसके अलावा विधायकों पर कार्रवाई का अधिकार सिर्फ विधानसभा अध्यक्ष के पास है. शरद पवार गुट की तरफ से नेताओं को पार्टी से निष्कासित करने और अयोग्य ठहराने का फैसला वैध नहीं है. न ही ये लागू होता है.
-भारत एक्सप्रेस
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