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बिहार का बिहारी राय 7 साल बाद लौटा घर, माता-पिता ने कर दिया था अंतिम संस्कार, जानें कैसे मिला जिंदा

Bihar news Patna: बिहार के बिहारी राय की ये कहानी पढ़कर, एकबारगी आपको भी यकीन नहीं होगा. वहां एक बुजुर्ग दंपति ने अपने बेटे को मृत समझ कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. लेकिन जब वह सात साल बाद वापस लौटा तो खुशी के आंसू बहने लगे. बेटे को देखते ही माता-पिता ने उसे सीने से लगा लिया.

जिस बेटे का कर दिया था अंतिम संस्कार, वो 7 साल बाद जिंदा वापस लौटा. तस्वीर— अपने ​माता पिता के बीच बिहारी राय.

Bihar news today: बिहार से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां पटना की लखनी बीघा पंचायत के आसोपुर गांव में 7 साल पहले एक युवक गायब हुआ था. परिजनों ने उसे खूब ढूंढा, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल पाया. कुछ ढोंगियों ने घरवालों से कहा कि आपका बेटा मर चुका है. जिसके बाद परिजनों ने उसे मरा हुआ मानकर एक पुतला का अंतिम संस्कार कर दिया.

कई साल बीत गए. हालांकि युवक के पिता को नींद में अपने बेटे के सपने आते रहते थे. किस्‍मत तब पलटी, जब दिल्ली की एक संस्था और लखनीबीघा पंचायत के मुखिया शत्रुघ्न ने पिता को सूचना दी कि उनका बेटा जिंदा है. बात कन्‍फर्म कराने के लिए पिता को बेटे की तस्‍वीरें भेजी गईं, तो उन्‍होंने उसे पहचान लिया. उसके बाद युवक को बूढ़े माता-पिता के पास लाया गया. उन्होंने उसे देखते ही सीने से लगा दिया.

लखनी बीघा पंचायत के आसोपुर गांव का मामला

यह कहानी है- बिहारी राय नाम के युवक की, जिसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं बताई जा रही. कहा जा रहा है कि उसके दिमाग में कमी है, और इसी वजह से उसे खुद भी नहीं पता कि वह कैसे और कब घर से निकल गया था. बहरहाल, वह अपने घर लौट आया है, इससे उसके माता-पिता बेहद खुश है. बिहारी के पिता बृजनंदन राय ने कहना है कि बेटे के गायब होने के बाद कई बार सपनों में वह दिखता था.

पिता बोले- कई बार सपनों में दिखता था

बृजनंदन राय बताते हैं कि एक बार सपने में बेटे ने खुद ही कहा था कि वह जिंदा है. जिसके बाद उन्होंने ओझा को ये बात बताई तो ओझा ने उन्‍हें बरगला लिया. ओझा ने कहा कि तुम्हारे बेटे की मौत हो गई है. अब उसकी आत्मा तुम्हें परेशान कर रही है. इसे भगाना होगा. ओझा की बात सुनकर बृजनंदन राय ने अपने बेटे को मरा हुआ मानकर, एक पुतला बनवाया और उसका अंतिम संस्कार करा दिया. हालां‍कि, बेटे की लाश नहीं मिली थी.

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बकौल बृजनंदन राय, ‘कुछ दिन पहले गांव के मुखिया के मोबाइल पर दिल्ली की एक संस्था ने बिहारी के जीवित होने की बात बताई और तस्‍वीरें भेजीं. जब हमने तस्‍वीरें देखीं तो अपने लाल को पहचान लिया. उसके बाद उसे हमारे पास पहुंचा दिया गया.

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